दिग्गज ट्रेडिंग फर्म जेन स्ट्रीट पर आरोपों की भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने जांच शुरू कर दी है। दरअसल, यूएस फर्म पर भारत के प्रमुख सूचकांकों में हेराफेरी करने के आरोप लगे हैं। इससे पहले अपने बचाव में SEBI के खिलाफ ट्रिब्यूनल में मामला भी दर्ज कराया था।
मामले में SEBI ने जेन स्ट्रीट पर 567 मिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया है। इसे कंपनी ने जमा भी कर दिया है। वहीं अब बाजार नियामक ने कंपनी के खिलाफ जांच तेज कर दी है। रॉयटर्स ने इस मामले के जानकार दो सूत्रों के हवाले से यह खबर जारी की है।
सेबी का यह मानना है कि यूएस ट्रेडिंग फर्म से जुड़े मामले की प्रारंभिक जांच में आंकड़े पर्याप्त नहीं थे। ऐसे में हेरफेर की आशंका बढ़ जाती है।
रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से एक रिपोर्ट में बड़ा दावा किया है। रिपोर्ट में कहा गया कि सेबी को आशंका है कि कंपनी ने देश के शेयर और बॉन्ड बाजारों में हेराफेरी की हो सकती है। एक रिपोर्ट में सूत्र के हवाले से कहा गया, "सेबी के अधिकारियों ने जून में जांच पूरी करने के लिए दिनरात काम किया।"
जबकि एक अन्य सूत्र के मुताबिक, 15 मई को कंपनी को 3.7 अरब रुपये (42.28 मिलियन डॉलर) की कमाई हुई थी। जिसके बाद यह कंपनी SEBI के टारगेट पर आ गई।
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'11 दिसंबर की जांच रिपोर्ट से SEBI संतुष्ट नहीं'
सूत्रों के मुताबिक, सेबी का शीर्ष नेतृत्व 11 दिसंबर को अपने निगरानी विभाग द्वारा पूरी की गई पहली जांच से संतुष्ट नहीं था। ऐसे में दिसंबर 2024 के अंत में एक औपचारिक जांच शुरू करने का फैसला लिया गया। इस बार जांच में ट्रेडिंग फर्म के कस्टोडियन बैंक और घरेलू ट्रेडिंग पार्टनर से डेटा की गहन जांच की जाएगी।
इस बीच इस हफ्ते बुधवार को जेन स्ट्रीट ने सेबी के खिलाफ प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (SAT) में अपील भी दायर की, जिसमें औपचारिक जांच के लिए जरूरी दस्तावेज और आंकड़े मांगे गए।
दरअसल, SEBI ने 4 जुलाई को जेन स्ट्रीट को स्थानीय बाजार में अस्थायी रूप से प्रतिबंधित कर दिया था। यूएस फर्म पर भारत के प्रमुख सूचकांकों में हेराफेरी करने के आरोप लगे हैं। मामले में इससे पहले जेन स्ट्रीट को 21 दिनों के भीतर आरोपों पर जवाब देने को कहा गया था। लेकिन सेबी द्वारा दी गई सीमा बीत जाने के बावजूद भी फर्म ने जवाब नहीं दिया। जिसके बाद सेबी ने सख्त एक्शन लेते हुए कंपनी पर स्थायी प्रतिबंध लगा दिया।
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