क्वाड अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बना एक अनौपचारिक सुरक्षा मंच है। यह अक्सर ढीले ढांचे और स्पष्ट संरचना की कमी के लिए आलोचना झेलता रहा है। लेकिन एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट की नई रिपोर्ट Cementing the Quad in the Indo-Pacific का कहना है कि क्वाड की यही लचीलापन उसकी सबसे बड़ी ताकत है, जो इसे तेज़ी से बदलती परिस्थितियों के अनुसार ढालने और साझा चुनौतियों पर समन्वय करने में सक्षम बनाता है।
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भारत का महत्व और चुनौतियां
रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण एशिया में क्वाड को वैधता देने में भारत की भौगोलिक और राजनीतिक स्थिति निर्णायक है। लेकिन साथ ही यह खतरा भी है कि इससे छोटे पड़ोसी देशों में “विशेषाधिकार” (exclusivity) की धारणा बन सकती है। इसलिए क्वाड की परियोजनाओं को भारत-केंद्रित न बताकर क्षेत्रीय और समावेशी पहल के रूप में प्रस्तुत करने की ज़रूरत है।
ग्लोबल साउथ की आवाज़ के तौर पर भारत की भूमिका को बेहद अहम बताया गया है। पश्चिमी देशों के लिए भारत वह साझेदार है, जो क्वाड पहलों को चीन-रोधी रणनीति के बजाय विकास और सशक्तिकरण का उपकरण बनाकर पेश कर सकता है।
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