येल यूनिवर्सिटी ने 4–5 सितंबर को दो दिन का सम्मेलन आयोजित किया, जिसमें अगले साल आने वाले ‘हैंडबुक ऑफ डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स’ के छठे संस्करण पर चर्चा हुई। यह किताब पहली बार 1988 में भारतीय अर्थशास्त्री टी. एन. श्रीनिवासन के सह-संपादन में आई थी। अब इसका नया संस्करण 2026 में आने वाला है, जिसे येल की प्रोफेसर रोहिणी पांडे और पिनेलोपी गोल्डबर्ग के साथ प्रिंसटन की पास्कलीन डुपास तैयार करेंगी।
टी. एन. श्रीनिवासन, जिन्हें थिरुकोडिकावल निलकंठ श्रीनिवासन के नाम से भी जाना जाता है, येल में प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष रह चुके हैं। वे 50 साल से ज्यादा समय तक अर्थशास्त्र में अग्रणी रहे और उन्होंने इस हैंडबुक के पहले तीन संस्करणों का संपादन करके इसे विकास अर्थशास्त्र का अहम संदर्भ बना दिया।
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सम्मेलन में लेखक और शोधकर्ता छठे संस्करण के शुरुआती अध्याय पेश कर रहे थे। इस बार किताब में जलवायु परिवर्तन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और उनके विकास, असमानता और आर्थिक वृद्धि पर असर पर ध्यान दिया जाएगा। गोल्डबर्ग ने कहा कि अब लगभग हर आर्थिक सब-फील्ड का कुछ न कुछ हिस्सा विकास से जुड़ा है। तकनीकी बदलाव, जलवायु संकट और दुनिया में राजनीतिक बदलाव, विकासशील देशों को खासा प्रभावित कर सकते हैं।
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