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US-भारत रक्षा साझेदारी: चीन की धमक और रूस-पाक का दबाव

विशेषज्ञों ने माना कि रूस और पाकिस्तान अभी भी बाधा हैं। चीन को मुख्य चुनौती के रूप में देखा गया।

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प / Image : facebook Narendra Modi

हाल ही में हडसन इंस्टिट्यूट में भारत और अमेरिका के रक्षा संबंधों पर एक महत्वपूर्ण संवाद हुआ। इसमें वरिष्ठ कूटनीतिज्ञ, रक्षा अधिकारी और उद्योग विशेषज्ञ शामिल हुए। इस बातचीत में दोनों देशों के रक्षा सहयोग की प्रगति, नए अवसर और भविष्य की चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा हुई।

यह भी पढ़ें- अफगानिस्तान में आपदा पर भारत ने भेजी मानवीय सहायता, पाक ने बढ़ाया दबाव

रक्षा साझेदारी का सफर
अपर्णा पांडे (हडसन इंस्टिट्यूट) ने बताया कि 15 साल पहले शायद कोई नहीं सोचता था कि 2025 तक भारत और अमेरिका का सबसे मजबूत संबंध रक्षा क्षेत्र में होगा। लेकिन आज दोनों देश सुरक्षा और रक्षा में पहले से कहीं ज्यादा नज़दीक हैं।

पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद निदेशक एंथनी रेनज़ुली ने कहा कि 2008 के सिविल न्यूक्लियर समझौते के बाद रक्षा सहयोग लगातार बढ़ा। भारत को 2016 में ‘मेजर डिफेंस पार्टनर’ घोषित किया गया और अमेरिका ने तकनीकी हस्तांतरण को बढ़ावा दिया। C-130 और C-17 जैसे विमान की बिक्री ने ‘मेक इन इंडिया’ के लिए नींव रखी।

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