फगानिस्तान में बढ़ती मानवीय और राजनीतिक संकट पर संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की विशेष बैठक में भारत ने आपातकालीन राहत और दीर्घकालिक सहायता का वचन दिया, जबकि पाकिस्तान ने तालिबान के साथ निरंतर संवाद की वकालत की। सुरक्षा परिषद में पश्चिमी देशों ने दबाव और जवाबदेही की आवश्यकता पर जोर दिया।
भारत का मानवीय नेतृत्व
भारत के स्थायी प्रतिनिधि परवथनेनी हरीश ने कहा, 'भारत और अफगानिस्तान की सभ्यता आधारित गहरी रिश्तेदारी है।' उन्होंने अफगानिस्तान में भारत की 500 से अधिक विकास परियोजनाओं का जिक्र किया, जिनमें खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा और खेल शामिल हैं।
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हाल ही में आए विनाशकारी भूकंप के बाद भारत 'सबसे पहले' मदद भेजने वाले देशों में था। इसमें 1,000 पारिवारिक टेंट, 15 टन भोजन, 21 टन दवाइयाँ, हाइजीन किट, कंबल और जनरेटर शामिल थे। अगस्त 2021 से भारत ने अफगानिस्तान को 50,000 टन गेहूं, 330 टन से अधिक दवाइयाँ और अन्य आवश्यक सामग्री भेजी।
शिक्षा क्षेत्र में भी भारत ने 2023 से 2,000 अफगानी छात्रों, जिनमें 600 लड़कियां और महिलाएं शामिल हैं, को छात्रवृत्ति दी और संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के साथ मिलकर नशा मुक्ति कार्यक्रम चलाए।
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