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भारतीय-अमेरिकी नेताओं ने हिंदू मंदिरों की बेअदबी पर जताई नाराजगी

‘रिलिजियस फ्रीडम एंड कम्युनिटी सिक्योरिटी’ विषय पर इंडिया अब्रॉड डायलॉग के दौरान सामुदायिक प्रतिनिधियों ने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों की उदासीनता और डायस्पोरा को निशाना बनाने वाली विधायी कोशिशें मंदिरों को असुरक्षित बना रही हैं।

इवेंट का पोस्टर / Lalit K Jha

अमेरिकी नेताओं ने चेतावनी दी है कि अमेरिका में हिंदू मंदिरों पर बढ़ते खतरों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और इसके लिए उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि मंदिरों में की गई तोड़फोड़ और बेअदबी को गंभीर हेट क्राइम (घृणा अपराध) माना जाए।

‘रिलिजियस फ्रीडम एंड कम्युनिटी सिक्योरिटी’ विषय पर इंडिया अब्रॉड डायलॉग के दौरान सामुदायिक प्रतिनिधियों ने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों की उदासीनता और डायस्पोरा को निशाना बनाने वाली विधायी कोशिशें मंदिरों को असुरक्षित बना रही हैं। यह स्थिति तब और चिंताजनक है जब ऑनलाइन और राजनीति में हिंदू-विरोधी भावना बढ़ रही है।

बार-बार मंदिरों पर हमले

Coalition of Hindus of North America की पुष्पिता प्रसाद ने इस मौके पर कहा कि 2023 के अंत से लेकर अब तक क्वीन्‍स, सैक्रामेंटो, चीनो हिल्स, यूटा और इंडियाना में बार-बार हुई घटनाओं ने समुदाय को हिला दिया है। उन्होंने कहा कि दिसंबर 2023 से पूरे देश में सात से आठ हिंदू मंदिरों की बेअदबी हुई है लेकिन एक भी व्यक्ति पर आरोप नहीं लगाया गया। दुर्भाग्य से हमारी कानून प्रवर्तन एजेंसियां और हमारे विधायकों ने इसे हल्के में लिया और आगे बढ़ गए। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उन्हें ऐसा करने से रोकें।

‘यह सिर्फ राजनीति नहीं, हिंदू-विरोधी हमला है’

हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन के प्रबंध निदेशक समीर कालरा ने कहा कि कई बार इन घटनाओं को राजनीतिक विरोध बताकर जांच को भटकाया गया है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर ग्रैफिटी और तोड़फोड़ में खालिस्तान के समर्थन में नारे लिखे गए। उस आंदोलन के समर्थक कानून प्रवर्तन एजेंसियों को बताते हैं कि ये महज राजनीतिक घटनाएं हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि किसी भी धार्मिक स्थल पर हमला मूल रूप से हिंदू-विरोधी होता है।

कालरा ने यह भी चेतावनी दी कि जाति-सुरक्षा और ट्रांसनेशनल-रेप्रेशन से जुड़े नए विधेयक भारतीय-अमेरिकियों को अनुचित रूप से निशाना बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें नस्ली तौर पर प्रोफाइल किया जाएगा। हमें संदिग्ध माना जाएगा और कानून प्रवर्तन एजेंसियां हमारे मंदिरों पर हुए हमलों को गंभीरता से नहीं लेंगी।

कांग्रेस में समर्थन की मांग

HinduPACT के उत्सव चक्रवर्ती ने हाउस रिजॉल्यूशन 69 को मजबूत समर्थन देने की अपील की। यह हिंदू-विरोधी हेट क्राइम्स की निंदा करता है और जिसके 25 सह-प्रायोजक (co-sponsors) हैं। उन्होंने कहा कि अगर हम इसे 250 सह-प्रायोजकों तक पहुंचा दें तभी हमें नैरेटिव पैरिटी मिलेगी। यहूदी, ईसाई और अन्य समुदाय भी इसी तरह अपने मुद्दों को बराबरी पर लाते हैं।

हेट क्राइम बनाम चोरी की वारदातें

Hindu Mandir Executive Committee की वल्लभा तंत्रि ने कहा कि समुदाय को नफरत से प्रेरित तोड़फोड़ और अवसरवादी चोरी दोनों के बीच फर्क करना होगा। उन्होंने कहा कि वैंडलिज्म और चोरी दो अलग मुद्दे हैं। चोरी की घटनाएं शायद हेट क्राइम न हों और हमें उस समस्या से निपटने का तरीका अलग से सोचना होगा।

उन्होंने लगातार हो रही सेंधमारी को मंदिरों की असुरक्षा का सबूत बताया। तंत्रि ने कहा कि उसी गैंग को दानपेटी चुराते पकड़ा गया। चाहे मंदिर हो या चर्च वे शीशा तोड़कर अंदर घुसते हैं जो भी कीमती चीज मिलती है, उठा लेते हैं और 5-10 मिनट में भाग जाते हैं।

तंत्रि ने कहा कि कानून प्रवर्तन इसे गंभीरता से नहीं लेता। शायद इसलिए कि निर्वाचित प्रतिनिधि समुदाय को अपनी वोट बैंक नहीं मानते। इससे मंदिर असुरक्षित और आसान निशाना बने रहते हैं।

ऑनलाइन नफरत का असर

Hindus for America की गीता सिकंद ने चेताया कि ऑनलाइन हेट असल दुनिया में हमलों को बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि रटगर्स यूनिवर्सिटी के अध्ययन से पता चलता है कि जब इंटरनेट पर हिंदू-विरोधी मीम्स और ट्रोप्स भरे होते हैं तो वास्तविक दुनिया में हिंसा भी बढ़ जाती है।

उन्होंने आगे कहा कि तीन दिनों में पांच चोरी की घटनाएं हर सामुदायिक नेता को यह सोचने पर मजबूर कर देनी चाहिए कि आखिरर क्या हो रहा है।

मंदिरों की भूमिका पर सवाल

Hindu Action के मोहिंदर गुलाटी ने कहा कि मंदिरों को समुदाय को संगठित करने की जिम्मेदारी लेनी होगी। उन्होंने कहा कि मंदिर हमें निराश कर रहे हैं। वे केवल अनुष्ठान और त्योहारों की जगह बनकर रह गए हैं। उन्हें समय के साथ खड़ा होना होगा और समुदाय को संगठित करने का केंद्र बनना होगा।

प्रसाद ने भी जोड़ा कि हिंदुओं को बाहर से मदद का इंतजार नहीं करना चाहिए। उन्होंने भगवद गीता का उदाहरण देते हुए कहा कि कृष्ण ने अर्जुन से पूजा करने को नहीं कहा। उन्होंने कहा कि तुम्हें अपना काम करना है, अपना कर्म करना है। हममें से हर एक को खुद को और अपने समुदाय को बचाना होगा।

निष्कर्ष

यद्यपि रणनीतियों में मतभेद थे लेकिन सभी पैनलिस्ट इस बात पर सहमत रहे कि मंदिरों की सुरक्षा मौलिक है। जैसा कि सिकंद ने कहा कि अगर उपासना स्थल सुरक्षित नहीं हैं तो धार्मिक स्वतंत्रता खोखली है।

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