ADVERTISEMENTs

बैंगलोर से डलास तक: तकनीक और संस्कृति की डगर पर मनोज बलराज का सफर

अमेरिका में बिताए तीन दशकों ने उन्हें प्रवासी भारतीयों के उत्थान में अग्रणी भूमिका निभाने का अवसर दिया है।

मनोज बलराज / Lalit K Jha

दरिया किनारों के तकनीकी गलियारों से दूर डलास की एक शांत सड़क पर मनोज बलराज दो दुनियाओं के बीच सेतु निर्माण कर रहे हैं। फॉर्च्यून 50 की दिग्गज कंपनियों के लिए डिजिटल उत्पाद तैयार करते हुए वे भारत की सांस्कृतिक और उद्यमशील धरती पर भी गहरी पकड़ बनाए हुए हैं। बैंगलोर (अब बेंगलुरु) से केरल और फिर टेक्सस तक फैली उनकी कहानी तेजी से आगे बढ़ने की कम और सच्चाई से आगे बढ़ने की ज्यादा है।

बेंगलुरु, जहां वे पैदा हुए और पले-बढ़े, छोड़ने के लगभग तीन दशक बाद भी मनोज बलराज को अपने पिता की यह सलाह याद आती है: किसी दिन तुम्हें अपना कुछ करना होगा। तुम्हें ऐसे रास्ते पर चलना चाहिए जिससे ज्यादा रोजगार पैदा हों। तुम्हारी नौकरी से ज्यादा रोजगार पैदा होने चाहिए। उनका कहना है कि यही बात उनकी कंपनी और उनके निजी जीवन, दोनों के लिए आज भी आधारशिला है।
 

This post is for paying subscribers only

SUBSCRIBE NOW

Comments

Related

ADVERTISEMENT

 

 

 

ADVERTISEMENT

 

 

E Paper

 

 

 

Video