अमेरिका की ताकत सिर्फ बजट या हथियारों से नहीं मापी जाती, बल्कि यह इस बात से भी जुड़ी है कि देश कितनी जल्दी सार्वजनिक बहस और आलोचना से सीखता है। जब मीडिया, टेक प्लेटफॉर्म, बड़े व्यवसाय और सरकार घर पर बहस को रोकने लगते हैं, तो नीतियां धीमी बनती हैं, जनता का विश्वास कमज़ोर होता है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की विश्वसनीयता प्रभावित होती है।
यह भी पढ़ें- NYC ग्रीन स्कूल सम्मेलन 2025: शिक्षा से बदलें दुनिया का भविष्य
विशेषज्ञ दिनेश एस. शास्त्री का कहना है कि खुला बहस का माहौल अमेरिका की रणनीतिक बढ़त रहा है। बहुलतावादी बहसें नीतियों की कमजोरियों को उजागर करती हैं, फैसलों को सुधारती हैं और लोगों का समर्थन बनाती हैं। तकनीक, व्यापार और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में नए विचारों को चुनौती देने की जगह मिलनी चाहिए और गलत विचारों को जल्दी असफल होने का मौका मिलना चाहिए।
लेकिन मीडिया, सोशल मीडिया और कॉर्पोरेट नीतियां इसके विपरीत काम कर रही हैं। समाचार और टीवी स्टूडियो जोखिम से बचने के लिए सिर्फ परिचित दृष्टिकोण पेश करते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में ऑटोमेटिक कंटेंट डिलीट या डाउन-रैंकिंग होती है, जिससे लोग स्वयं-सेंसरशिप करने लगते हैं। कंपनियों के ब्रांड-सेफ्टी और निवेश नीतियां भी वैध बहस को दबा सकती हैं। साथ ही, अस्पष्ट कानून और निगरानी प्रणाली घरेलू आलोचना को सीमित कर देती हैं।
सास्ट्री के अनुसार, इन उपायों का असर सिर्फ संस्कृति पर नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी पड़ता है। जब बहस का वातावरण नियंत्रित किया जाता है, तो देश नए तथ्य और विरोधी विचार जल्दी सीख नहीं पाता, और विरोधी ताकतें इसका फायदा उठाती हैं।
उनका सुझाव है कि समस्या का समाधान कई तरीकों से किया जा सकता है, सरकार द्वारा प्लेटफॉर्म्स में हस्तक्षेप करते समय पारदर्शिता और उचित प्रक्रिया सुनिश्चित की जाए; पत्रकारिता में बहुलता और स्वतंत्र रिपोर्टिंग को बढ़ावा दिया जाए। कॉर्पोरेट नियम केवल अवैध गतिविधियों तक सीमित हों, विचारों को नहीं दबाया जाए। आपातकालीन और विदेशी सूचना हस्तक्षेप नीतियों को स्पष्ट और सीमित बनाया जाए और प्लेटफॉर्म्स व सूचना प्रणाली में प्रतिस्पर्धा और विकल्प बढ़ाए जाएं, ताकि बहस और जानकारी की स्वतंत्रता बनी रहे।
निष्कर्ष है कि सुरक्षा और अभिव्यक्ति के बीच विरोधाभास नहीं है, बल्कि सवाल यह है कि अमेरिका अपनी लोकतांत्रिक बहस को खुले में जारी रखे और तेजी से सीखे, या सार्वजनिक विचार को ऊपर से नियंत्रित करके अपनी ताकत खो दे।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login