भारत के महान कवि मुत्तुस्वामी दीक्षित की 250वीं जयंती के अवसर पर उनकी जीवन और कृति पर आधारित नई किताब ‘अनुभूति’ रिलीज़ हुई है। यह किताब संगीतकार, शिक्षाविद और विद्वान कन्निक्स कन्निकेश्वरन द्वारा लिखी गई है।
किताब में दीक्षित को केवल रचनाकार के रूप में नहीं बल्कि कवि, यात्री, इतिहासकार और चिंतक के रूप में पेश किया गया है। लेखक ने दिखाया है कि दीक्षित ने 18वीं शताब्दी के प्रारंभिक औपनिवेशिक काल में भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपराओं के साथ गहरा जुड़ाव बनाया।
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‘अनुभूति’ में बताया गया है कि दीक्षित की रचनाओं में मंदिर परंपराएं, अद्वैत वेदांत और भारतवर्ष की दर्शनशास्त्र परंपराएं शामिल हैं। इसके अलावा, उन्होंने यूरोपीय संगीत रूपों का भी सृजनात्मक रूप से पुन:व्याख्यान किया, जैसे कि ब्रिटिश राष्ट्रीय गान को देवी की स्तुति में ढालना।
किताब में दीक्षित की भारत की यात्रा और उनकी आध्यात्मिक यात्रा का विश्लेषण किया गया है, साथ ही उनकी संगीत रचनाओं में शान्मता (छः पूजा धाराओं) का प्रतिबिंब भी दिखाया गया है।
पूर्व TCS सीईओ एस रामदोराई ने किताब को संगीत प्रेमियों और इतिहास व दर्शन में रुचि रखने वालों के लिए “जरूरी पढ़ाई” बताया। विद्वान सुभाष काक ने भी दीक्षित के जीवन पर किताब की “विशिष्ट अंतर्दृष्टि” की सराहना की।
कन्निक्स कन्निकेश्वरन, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर के संगीतकार और शिक्षाविद हैं, ने दशकों के शोध और अभ्यास के अनुभव से यह किताब तैयार की है। उनके पहले के कार्यों में 2008 में दीक्षित के इंडो-कोलोनियल संगीत की रिकॉर्डिंग और इसी विषय पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म शामिल हैं।
किताब की रिलीज के साथ ही दीक्षित की 250वीं जयंती वर्ष के लिए पहली समर्पित पुस्तक पेश की गई है, जो भारत की संगीत और आध्यात्मिक विरासत में उनके योगदान को सम्मानित करती है।
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