मंगलवार को जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ओवल ऑफिस में दिवाली समारोह आयोजित किया तो वहां सबसे ज्यादा चमक पीतल के दीये की नहीं बल्कि उन मेहमानों की थी जिनकी कंपनियों की संयुक्त मार्केट वैल्यू 1.5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है।
इस मौके पर मौजूद थे दुनिया के सबसे प्रभावशाली भारतीय मूल के कारोबारी नेता अरविंद कृष्णा (IBM), शांतनु नारायण (Adobe), संजय मेहता (Micron Technology) और निकेश अरोड़ा (Palo Alto Networks)। इनकी कंपनियां मिलकर लाखों अमेरिकियों को रोजगार देती हैं।
ट्रम्प जानते थे कि यह सिर्फ सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं है बल्कि एक आर्थिक प्रदर्शन है। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि यह दुनिया का सबसे बड़ा बिजनेस ग्रुप है जो एक साथ खड़ा है। यह बहुत बड़ी बात है।
हर सीईओ ने इस मंच को व्यावसायिक संदेश देने का अवसर बनाया। अरविंद कृष्णा ने IBM के अगले 5 साल में 150 अरब डॉलर निवेश की घोषणा की। संजय मेहता ने बताया कि Micron का 200 अरब डॉलर का सेमीकंडक्टर विस्तार प्रोजेक्ट 90,000 नई नौकरियां देगा और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में 1.5 ट्रिलियन डॉलर का योगदान करेगा। शांतनु नारायण ने कहा कि Adobe का पूरा इनोवेशन इंजन अमेरिका में बना, अमेरिका के लिए है। निकेश अरोड़ा ने कहा कि Palo Alto Networks आने वाले वर्षों में 25 अरब डॉलर का निवेश करेगी ताकि साइबर सुरक्षा तकनीक को मेड इन अमेरिका बनाया जा सके।
ट्रम्प ने हंसते हुए कहा कि इन लोगों का मतलब दो बातें हैं बड़े निवेश और बड़ी नौकरियां। मेरे पास अच्छी याददाश्त है लेकिन इनकी मशीनों की उससे भी बेहतर है।
इस बात के बाद कमरे में हंसी गूंज उठी।
ये चारों सीईओ भारतीय-अमेरिकी समुदाय की उस सफलता का चेहरा हैं जिसने न केवल सिलिकॉन वैली बल्कि अमेरिकी राजनीति में भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। हालांकि दो और दिग्गज सत्य नडेला (Microsoft) और सुंदर पिचाई (Google) इस समारोह में नहीं पहुंचे। इस पूरे आयोजन का एक गहरा संदेश भी था कि अमेरिका भारत को सिर्फ रणनीतिक साझेदार नहीं बल्कि आगामी डिजिटल क्रांति के सह-निर्माता के रूप में देखता है।
ट्रम्प ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बार-बार प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत और अमेरिका दोनों देशों के बीच व्यापारिक साझेदारी भविष्य का इंजन बनेगी। व्यापार और तकनीक यही भविष्य है। जब आप महान दिमागों और महान बाजारों को जोड़ते हैं तो यही नतीजा होता है।
जब दीये की लौ धीमी पड़ी ओवल ऑफिस ने सिर्फ एक तस्वीर नहीं देखी बल्कि बदलती वैश्विक ताकत का प्रत्यक्ष प्रमाण देखा जहां दिवाली सिर्फ एक धार्मिक त्योहार नहीं रही, बल्कि कूटनीति, कारोबार और सांस्कृतिक गर्व का संगम बन गई।
अगर राजनीति एक मंच है तो यह उसका हाई-बजट शो था।
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