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मिसालः शटडाउन के दौरान हजारों को भूख से बचाने आगे आया भारतीय अमेरिकी दंपति

सरकारी शटडाउन जैसे संकटों के बीच यह पहल यह साबित कर रही है कि सामूहिक प्रयास और सांस्कृतिक मूल्यों के साथ, कोई भी समुदाय बड़ा बदलाव ला सकता है।

राज और उनकी पत्नी एना / Courtesy: Ishani Duttagupta

हालिया सरकारी शटडाउन के दौरान अमेरिका में हजारों परिवार अचानक वेतन और सप्लीमेंटल न्यूट्रिशन असिस्टेंस प्रोग्राम (SNAP) जैसे खाद्य लाभों से वंचित हो गए। इसका सीधा असर फूड बैंकों पर पड़ा, जहां मदद की मांग अचानक तेज़ी से बढ़ गई।

ऐसे संकट के समय भारतीय अमेरिकी दंपति ने ‘हंगर मिटाओ’ (HungerMitao) पहल के ज़रिए एकजुट होकर बड़ी भूमिका निभाई। स्वयंसेवकों ने फूड बॉक्स पैक किए, फूड ड्राइव आयोजित कीं और फंड जुटाकर यह सुनिश्चित किया कि उनके आसपास कोई भी परिवार भूखा न रहे।

‘हंगर मिटाओ’—एक संगठन नहीं, एक आंदोलन
हंगर मिटाओ के संस्थापक राज जी. असावा कहते हैं, “हम फीडिंग अमेरिका नेटवर्क के साथ मिलकर भारतीय अमेरिकी समुदाय को उनके स्थानीय फूड बैंकों के समर्थन में सक्रिय करते हैं।”

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राज असावा और उनकी पत्नी अराधना (अन्ना) असावा ने 2017 में कॉरपोरेट करियर से रिटायरमेंट के बाद इस पहल की शुरुआत की। उनके अनुसार, हंगर मिटाओ कोई औपचारिक संस्था नहीं, बल्कि एक आंदोलन और आह्वान है—जिसका उद्देश्य अमेरिका में रहने वाले भारतीय प्रवासियों को भूख के खिलाफ लड़ाई में शामिल करना और “जहां रहते हैं, वहीं देने” की भावना को मजबूत करना है।

 

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