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S&P ने बढ़ाया भारत का ग्रोथ अनुमान, रेपो रेट में कटौती को लेकर ये कहना है एजेंसी का

S&P ग्लोबल ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारत के ग्रोथ के अनुमान को 40 आधार अंकों से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया। हालांकि, यह अभी भी चालू वित्त वर्ष के लिए 7.6 प्रतिशत वृद्धि के अनुमान से कम है।

S&P ग्लोबल ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारत के ग्रोथ के अनुमान को बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया। / @IsaacSmith

भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट तेज बने रहने की उम्मीद है। S&P ग्लोबल ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारत के ग्रोथ के अनुमान को 40 आधार अंकों से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया। हालांकि, यह अभी भी चालू वित्त वर्ष के लिए 7.6 प्रतिशत वृद्धि के अनुमान से कम है। अमेरिका स्थित एजेंसी ने पिछले साल नवंबर में वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की वृद्धि 6.4 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया था।

S&P ग्लोबल रेटिंग्स के एशिया प्रशांत क्षेत्र के मुख्य अर्थशास्त्री लुई कुइज ने कहा, 'एशियाई उभरते बाजार वाली अर्थव्यवस्थाओं के लिए हम आम तौर पर मजबूत वृद्धि का अनुमान लगाते हैं, जिनमें भारत, इंडोनेशिया, फिलीपींस और वियतनाम प्रमुख हैं। हालांकि, इस बढ़ोतरी के बावजूद भारत के ग्रोथ के लिए नया अनुमान आरबीआई के 7 प्रतिशत के अनुमान से कम है। यहां तक कि सरकार को भी उम्मीद है कि अगले वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी 7 प्रतिशत के आसपास बढ़ेगी। अन्य घरेलू और ग्लोबल एजेंसियों को उम्मीद है कि वृद्धि 6.5 से 7 प्रतिशत के बीच रहेगी।

भारतीय वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग की मासिक आर्थिक समीक्षा (MER) में कहा गया कि स्थिर इंफ्लेशन और रोजगार आउटलुक के साथ मजबूत वृद्धि से चालू वित्त वर्ष की समाप्ति पर भारतीय अर्थव्यवस्था को सकारात्मक रुख अपनाने में मदद मिली है। इसमें बताया गया है कि 'कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के संकेत और ग्लोबल सप्लाई चेन की बाधाओं जैसी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भारत कुल मिलाकर वित्त वर्ष 25 के लिए एक उज्ज्वल दृष्टिकोण की उम्मीद करता है।

लुई कुइज का कहना है कि प्रतिबंधात्मक ब्याज दरों से अगले वित्त वर्ष में डिमांड पर दबाव पड़ सकता है। अनसेफ लोन पर लगाम लगाने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के कदम से लोन में बढ़ोतरी पर असर पड़ सकता है। कम फिस्कल डेफिसिट से भी वृद्धि प्रभावित होगी। इससे पहले एजेंसी ने वित्त वर्ष 25 की ग्रोथ 6.4 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। एजेंसी ने वित्त वर्ष 2025-26, 2026-27 और 2027-28 के अपने पूर्वानुमान में कोई बदलाव नहीं किया है और क्रमशः 6.9 प्रतिशत, 7 प्रतिशत, 7 प्रतिशत आंका गया है।

इंफ्लेशन के बारे में बात करते हुए कुइज ने कहा कि जहां नॉन-फूड CPI इंफ्लेशन लगभग 250 बीपीएस नरम हो गई, वहीं फूड इंफ्लेशन इस वित्त वर्ष के पहले दस महीनों में 40 बीपीएस बढ़ी। कुल मिलाकर, हेडलाइन इंफ्लेशन इस वित्त वर्ष में गिरकर अनुमानित 5.5 प्रतिशत हो गई, जो वित्त वर्ष 2022-2023 में 6.7 प्रतिशत थी। फूड इंफ्लेशन बढ़ने के कारण हेडलाइन इंफ्लेशन 4 प्रतिशत-6 प्रतिशत के लक्ष्य से ऊपर है।

इंफ्लेशन के हमेशा ऊपर की ओर जाने के जोखिम होते हैं। लेकिन, प्रमुख ग्लोबल झटकों को छोड़कर, हम आम तौर पर सोचते हैं कि वे जोखिम अब कम हैं। अंतरराष्ट्रीय शिपिंग को लेकर जो समस्याएं हैं वे चिंताजनक हैं। उन्होंने कहा कि कंस्यूमर इंफ्लेशन वित्त वर्ष 2025-26 में औसतन 4.5 प्रतिशत तक नीचे जाने की आशंका है।

ऐसे में अब बड़ा सवाल यह है कि नीतिगत ब्याज दर कब कम की जाएगी। रिपोर्ट में कहा गया है, 'हम इस साल (भारत, इंडोनेशिया, न्यूजीलैंड और फिलीपींस) 75 आधार अंक (जो भारत के लिए 2024-25 वित्त वर्ष है) रेपो रेट में कटौती का अनुमान लगाते हैं, जिसमें 50 आधार अंक की औसत कमी आएगी।

भारत में धीमा इंफ्लेशन, एक छोटा राजकोषीय घाटा और कम अमेरिकी रेपो रेट भारतीय रिजर्व बैंक के लिए रेपो रेट में कटौती शुरू करने के लिए आधार तैयार करेंगी। लेकिन उन्होंने कहा कि हमे उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2024-25 (मार्च 2025 को समाप्त) में भारत की वास्तविक जीडीपी ग्रोथ रेट 6.8 प्रतिशत हो जाएगी।

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