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पीएम मोदी ने ब्राजील में देखी रामायण, रियो के 'विश्वनाथ' ने संस्कृत में किया अभिवादन

ब्राजील में विश्व विद्या गुरुकुलम के संस्थापक जोनास मैसेटी ने बताया कि रामायण धर्म को एक श्रद्धांजलि है। राम धर्म का प्रतिनिधित्व करते हैं और रामायण करना और राम कथा के संपर्क में रहना खुद को शुद्ध करने और बेहतर जीवन जीने का एक तरीका है।

विश्व विद्या गुरुकुलम के कलाकारों से मिले पीएम मोदी। / MEA, India

अपनी ब्राजील यात्रा के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजधानी रियो डी जनेरियो में रामायण देखी। इसकी आकर्षक प्रस्तुति वेदांत और संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए समर्पित ब्राजील के संगठन विश्व विद्या के छात्रों ने की। विश्व विद्या के संस्थापक जोनास मैसेटी (जिन्हें विश्वनाथ के नाम से भी जाना जाता है) ने प्रधानमंत्री का स्वागत संस्कृत में किया। 

ब्राजील में विश्व विद्या गुरुकुलम में पढ़ने वाली रामा मारियाना वियाना उस टीम का हिस्सा थीं जिसने रियो डी जनेरियो में रामायण का प्रदर्शन किया था। मारियाना ने कहा कि मैंने आठ साल तक वेदांत और संस्कृत तथा मंत्रों का अध्ययन किया है। यह एक सम्मान की बात और एक आशीर्वाद है कि हम भारत के प्रधानमंत्री के सामने इस महान महाकाव्य की मंच पर प्रस्तुति कर सके। जहां से यह अद्भुत और समृद्ध संस्कृति व शिक्षाएं हमारे पास आई हैं उसने हमारे जीवन को बदल दिया है। 

 



ब्राजील में विश्व विद्या गुरुकुलम के संस्थापक जोनास मैसेटी ने बताया कि रामायण धर्म को एक श्रद्धांजलि है। राम धर्म का प्रतिनिधित्व करते हैं और रामायण करना और राम कथा के संपर्क में रहना खुद को शुद्ध करने और बेहतर जीवन जीने का एक तरीका है। इस मंचन की तैयारी में हमे छह साल लग गए। शुरुआत में हम बहुत घबराए हुए और भावुक थे क्योंकि यह हमारे लिए बहुत मायने रखता था। इसलिए हमने एक साथ प्रार्थना की। 

MEA, India / एक यादगार तल्वीर...

बकौल मैसेटी प्रधानमंत्री मोदी मंचन से बहुत प्रभावित हुए। वे कहते हैं कि मुझे बहुत दुख होता है जब मैं सुनता हूं कि भारत में युवाओं को वैदिक परंपरा और सभी पुराने तरीकों में इतनी दिलचस्पी नहीं है। मुझे आपको बताना है कि पश्चिम का रास्ता आपको बहुत शुष्क और बहुत खराब लगता है इसलिए उसके झांसे में न आएं। आपके घर के अंदर बहुत अच्छी संस्कृति है। 

थायस रोड्रिग्स भी विश्व विद्या गुरुकुलम की छात्रा हैं। प्रधानमंत्री मोदी के सामने रामायण की प्रस्तुति में उन्होंने 'स्वर्ण मृग' की भूमिका निभाई। वे कहती हैं कि इस अवसर पर नाट्य प्रस्तुति के लिए वास्तव में हम आभारी हैं। यह वर्षों के संस्कृत अध्ययन का परिणाम है। हम इस ज्ञान को प्राप्त करने के अवसर के लिए भारत और भारतीय संस्कृति को धन्यवाद देना चाहते हैं। यह हमारे लिए एक बड़ा सम्मान है। जहां तक मेरे किरदार की बात है तो यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण किरदार था क्योंकि इससे हम यह समझ सकते हैं कि भ्रम से निकलकर ज्ञान और धर्म तक कैसे पहुंचा जा सकता है।

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