हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (HAF) की कार्यकारी निदेशक सुहाग ए. शुक्ला ने भारत की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के सांसद शशि थरूर के उस बयान की आलोचना की है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारतीय-अमेरिकी समुदाय भारत-अमेरिका संबंधों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर ‘खामोश’ रहा है।
‘The Print’ में प्रकाशित अपने लेख में सुहाग शुक्ला ने थरूर के बयान को भ्रामक बताते हुए कहा कि उन्होंने भारतीय प्रवासी समुदाय की राजनीतिक सक्रियता और अमेरिकी व्यवस्था में उनकी वास्तविक स्थिति को गलत ढंग से पेश किया है।
शुक्ला ने अपने लेख में लिखा है कि अमेरिकी कांग्रेस में कुल 535 सदस्य हैं जिनमें 100 सीनेटर और 435 प्रतिनिधि हैं। लेकिन माननीय शशि थरूर ने केवल एक सांसद के बयान के आधार पर पूरे भारतीय-अमेरिकी समुदाय के बारे में सामान्यीकृत टिप्पणी कर दी।
उन्होंने कहा कि भारतीय-अमेरिकी समुदाय ने लंबे समय से भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने का प्रयास किया है, लेकिन यह काम उन्होंने बिना किसी औपचारिक भूमिका के और बिना भारत की नीतियों को प्रभावित किए हमेशा अमेरिकी कानूनों के दायरे में रहते हुए किया है।
शुक्ला ने कहा कि थरूर का यह कहना कि हम किसी और तरह काम करते हैं न केवल भ्रामक है बल्कि खतरनाक भी है।
शुक्ला ने आगे कहा कि अमेरिकी नागरिक के रूप में भारतीय-अमेरिकियों की नागरिक जिम्मेदारी उनके भारतीय सांस्कृतिक और भावनात्मक जुड़ाव के विरोध में नहीं है। उन्होंने लिखा कि जैसे भारत और भारतीय नागरिकों का कर्तव्य अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना है वैसे ही अमेरिकी नागरिकों का कर्तव्य है कि वे अमेरिका के हितों की रक्षा करें। इनमें भारतीय-अमेरिकी भी शामिल हैं। यह हम भारतीय अमेरिकियों का विरासत से धोखा नहीं बल्कि नागरिकता के प्रति वफादारी है।
उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय और हिंदू-अमेरिकी समुदाय को अमेरिका में कई तरह के विधायी दबावों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कैलिफोर्निया का SB509 कानून और ट्रांसनेशनल रेप्रेशन से जुड़े प्रस्तावित संघीय बिल का जिक्र किया। शुक्ला ने लिखा कि ऐसे कानूनों से जन निगरानी और प्रोफाइलिंग को बढ़ावा मिल सकता है और थरूर जैसे बयानों से यह धारणा मजबूत होती है कि भारतीय-अमेरिकी सच्चे अमेरिकी नहीं हैं।
शुक्ला ने थरूर के प्रभाव को स्वीकार करते हुए लिखा कि शशि थरूर के शब्दों का वजन है। इसलिए उन्हें बहुत नपे-तुले तरीके से बोलना चाहिए। उन्होंने निष्कर्ष में लिखा कि भारतीय-अमेरिकी समुदाय भारत सरकार के प्रवक्ता या प्रतिनिधि नहीं हैं। हम अमेरिकी नागरिक हैं जिनके अधिकार, जिम्मेदारियां और वफादारी इस देश की मिट्टी में निहित हैं।
आपको बता दें कि बाद में शशि थरूर ने एक्स (X) पर सुहाग शुक्ला की प्रतिक्रिया का स्वागत किया और लिखा कि मैं सुहाग शुक्ला की प्रतिक्रिया का स्वागत करता हूं। अगर मेरे बयान से भारतीय-अमेरिकी समुदाय में सोच-विचार शुरू हुआ है तो मुझे खुशी है।
थरूर ने कहा कि भले ही भारतीय-अमेरिकियों की चुनौतियां यहूदी या क्यूबाई-अमेरिकी समुदायों से अलग हों लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे अमेरिकी लोकतंत्र के भीतर अपनी आवाज प्रभावी ढंग से नहीं उठा सकते।
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