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भारतीय UPI: छोटे भुगतानों में रिकॉर्ड उछाल, बड़े खतरे भी सामने

SBI के अनुसार, हर 1 रुपये के UPI ट्रांजैक्शन से डेबिट कार्ड खर्च में 14 पैसे की गिरावट आई है।

यूपीआई पेमेंट / iStock

भारत का यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) अब केवल डिजिटल पेमेंट का जरिया नहीं रहा, बल्कि रोज़मर्रा के लेन-देन की रीढ़ बन चुका है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की ताज़ा रिसर्च के मुताबिक अगस्त 2025 में रोज़ाना औसतन ₹90,446 करोड़ ($10.9 बिलियन) के लेन-देन हुए, जो जनवरी के मुकाबले काफ़ी ज्यादा हैं।

UPI ने न सिर्फ कैश बल्कि डेबिट कार्ड्स को भी हाशिए पर धकेल दिया है। मई 2025 तक कुल रिटेल मनी डिमांड का 91% हिस्सा UPI के खाते में गया, जबकि 2019 के अंत में यह केवल 40% था। SBI के अनुसार, हर 1 रुपये के UPI ट्रांजैक्शन से डेबिट कार्ड खर्च में 14 पैसे की गिरावट आई है।

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कहां सबसे ज्यादा डिजिटल लेन-देन?
पहली बार NPCI ने राज्यवार UPI आंकड़े जारी किए, जिसमें महाराष्ट्र सबसे आगे रहा। जुलाई में यहां 1.9 अरब ट्रांजैक्शन हुए जिनकी कीमत ₹2.3 लाख करोड़ रही। दूसरे नंबर पर कर्नाटक रहा, जिसने 5.5% वॉल्यूम और 5.8% वैल्यू दर्ज की, जो बेंगलुरु के फिनटेक कल्चर का नतीजा माना जा रहा है। तीसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश रहा, जो टॉप-5 में शामिल एकमात्र उत्तरी राज्य है। सूची में तेलंगाना और तमिलनाडु भी शामिल रहे। दिलचस्प यह रहा कि 43% ट्रांजैक्शन अनक्लासिफाइड कैटेगरी में रहे यानी राज्यवार डाटा साफ नहीं है।
 

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