INDVest इन्वेस्टर्स फोरम NYC और स्टार्टोप्रेन्योर ने 15 अगस्त को एक वेबिनार का आयोजन किया। वेबिनार श्रृंखला के उद्घाटन समारोह का शीर्षक था 'द इंडिया मोमेंट @IND2047 लिंक्डइन इवेंट सीरीज।
वेबिनार में अग्रणी शोधकर्ताओं, नवप्रवर्तकों और सामुदायिक विचारकों ने वर्ष 2047 तक भारत के 50 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की राह पर चर्चा की। वेबिनार की मेजबानी INDVest इन्वेस्टर्स फोरम, NYC के संस्थापक रवि करकरा और स्टार्टोप्रेन्योर के संस्थापक शुभम धूत ने की।
विचारों को वैश्विक सफलता की कहानियों में बदलने के लिए आवश्यक संरचनात्मक समर्थन प्रदान करने की आवश्यकता पर बात करते हुए करकरा ने कहा कि स्टार्ट-अप्स को भविष्य के यूनिकॉर्न में विकसित करने के लिए एक अंतर-पीढ़ीगत, सामूहिक और सहयोगी पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना आवश्यक है।
उन्होंने कहाकि यह विजन पूरे स्टार्ट-अप परिदृश्य में गहरी साझेदारी के माध्यम से ही साकार हो सकता है। यानी निवेशक, संस्थापक, नीति निर्माता और उद्योग के नेता एक साथ मिलकर काम करें।
धूत ने युवा उद्यमियों की भूमिका पर प्रकाश डाला और कहा कि 2047 के भारत के लिए युवा उद्यमी अग्रणी भूमिका में होंगे। उन्हें न केवल सरकारी नीतियों द्वारा, बल्कि दूरदर्शी उद्योग जगत के नेताओं द्वारा भी समर्थन दिया जाना चाहिए ताकि हम मिलकर और भी बहुत कुछ हासिल कर सकें।
इस वेबिनार में उद्योग जगत के दिग्गज और विचारक शामिल हुए जिनमें टीजीइज़्म कैपिटल एडवाइजर्स के सीईओ और प्रबंध भागीदार अजय ठाकुर, एचवीबी 88 एंजेल्स के सह-संस्थापक सिड जैन और अन्य उद्यमी, निवेशक और नीति समर्थक शामिल थे।
ठाकुर ने लघु और मध्यम उद्यमों की बढ़ती भूमिका पर जोर दिया और कहा कि एसएमई भारत के विकास की रीढ़ बनकर उभरे हैं, जो नवाचार, रोजगार और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत के 2047 के विजन को साकार करने के लिए, एसएमई को बाजारों, वित्त और वैश्विक प्रतिस्पर्धा तक पहुंच प्रदान करके सशक्त बनाना अनिवार्य होगा।
सिद्धार्थ जैन ने दूरदर्शी दृष्टिकोण रखते हुए कहा कि भारत का समय अभी है। खासकर दुर्लभ मृदा तत्वों, खनन, अंतरिक्ष और रक्षा जैसे उभरते क्षेत्रों में। ये न केवल विकास के अवसर हैं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की स्थिति के लिए रणनीतिक अनिवार्यताएं भी हैं।
जैन ने चर्चा का सारांश प्रस्तुत किया और कहा कि, 'चार 'पी' - शक्ति, लाभ, लोग, ग्रह - सतत विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं और हमारा मानना है कि जो देश इन चार 'पी' में संतुलन बनाए रखेगा, वह इस सदी के उत्तरार्ध का नेतृत्व करेगा।
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