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भारत-कनाडा संबंधों का नया रोडमैप तैयार, दो साल की तल्खी के बाद नई शुरुआत

भारत और कनाडा के बीच यह नया रोडमैप ऐसे समय पर आया है जब वैश्विक व्यापार और कूटनीति में तेजी से बदलाव हो रहे हैं।

भारत और कनाडा के पीएम / Reuters FIle

नई दिल्ली में सोमवार को दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच हुई बातचीत के बाद भारत और कनाडा ने अपने द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक नया रोडमैप तैयार करने पर सहमति जताई है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब दोनों देश करीब दो साल से ठंडे पड़े रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं।

संयुक्त बयान के मुताबिक, भारत और कनाडा अब क्रिटिकल मिनरल्स, व्यापार और कृषि मूल्य श्रृंखला (agricultural value chains) जैसे क्षेत्रों में मिलकर काम करेंगे। बयान में कहा गया है, इस साझेदारी को फिर से जीवित करने से न केवल आर्थिक सहयोग के नए अवसर बनेंगे, बल्कि बदलते वैश्विक गठबंधनों से पैदा होने वाली कमजोरियों को भी कम किया जा सकेगा।

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नई शुरुआत
कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद (Anita Anand) ने सोमवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान उन्होंने कहा, हमारी दोनों सरकारें इस रिश्ते को एक नए स्तर पर ले जाने के महत्व को समझती हैं।

दोनों देशों के रिश्ते तब बिगड़ गए थे जब सितंबर 2023 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर कनाडाई सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था। भारत ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया था और उल्टा कनाडा पर अपने देश में खालिस्तानी समूहों को पनाह देने का आरोप लगाया था।

G7 सम्मेलन से पहले संबंधों में पिघलाव
इस साल जून में कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने G7 सम्मेलन के दौरान अल्बर्टा प्रांत के कनानास्किस में प्रधानमंत्री मोदी की मेज़बानी की थी। इसे दोनों देशों के रिश्तों में बर्फ पिघलने का संकेत माना गया था।

आर्थिक और सामाजिक जुड़ाव
भारत, कनाडा के लिए अस्थायी विदेशी कामगारों (temporary foreign workers) और अंतरराष्ट्रीय छात्रों का सबसे बड़ा स्रोत है। इसके अलावा, भारत कनाडा से दालों — खासकर मसूर (lentils) और पीली मटर (yellow peas) के आयात के लिए भी एक प्रमुख बाजार है। दूसरी ओर, कनाडा में सिख समुदाय का बड़ा प्रभाव है। भारतीय नेताओं का कहना है कि कनाडा में कुछ चरमपंथी समूह अब भी खालिस्तान आंदोलन के प्रति सहानुभूति रखते हैं, जो भारत से एक अलग सिख राष्ट्र बनाने की मांग करता है।

 

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