नई दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच इस हफ्ते महत्वपूर्ण व्यापारिक वार्ता होने जा रही है। भारत ने संकेत दिया है कि वह अमेरिका से ऊर्जा और गैस आयात बढ़ाने को तैयार है — यह कदम वॉशिंगटन की उन चिंताओं को दूर करने की दिशा में है, जो भारत के रूस से तेल खरीद को लेकर हैं।
टैरिफ विवाद के बाद फिर शुरू हुई बातचीत
दोनों देशों के बीच वार्ता अगस्त में रोक दी गई थी, जब ट्रम्प प्रशासन ने भारतीय वस्तुओं पर 50% तक टैरिफ बढ़ाने की घोषणा कर दी थी। अमेरिका ने भारत पर आरोप लगाया था कि वह रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध के लिए धन मुहैया करा रहा है। हालांकि सितंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने नरम रुख अपनाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बातचीत की, जिसके बाद वार्ता दोबारा शुरू हो गई।
यह भी पढ़ें- भारत-कनाडा संबंधों का नया रोडमैप तैयार, दो साल की तल्खी के बाद नई शुरुआत
ऊर्जा क्षेत्र में नई साझेदारी की तैयारी
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारत अमेरिकी ऊर्जा और गैस की खरीद बढ़ाने पर विचार कर रहा है। यह निर्णय उस समय आया है जब अमेरिका के नए राजदूत-नामित सर्जियो गोर ने हाल ही में भारत में प्रधानमंत्री मोदी और वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल से मुलाकात की।
गोर ने 12 अक्टूबर को ‘X’ पर लिखा, भारत दौरे के दौरान मेरी वाणिज्य सचिव अग्रवाल से बातचीत हुई, जिसमें हमने अमेरिका-भारत आर्थिक संबंधों और निवेश को लेकर चर्चा की। भारत सरकार ने कहा है कि पिछले महीने वॉशिंगटन में हुई चर्चाएं रचनात्मक रहीं और दोनों पक्षों ने जल्द ही पारस्परिक रूप से लाभदायक व्यापार समझौता करने पर सहमति जताई।
अमेरिकी टैरिफ से भारतीय निर्यात को झटका
अमेरिका द्वारा लगाए गए ऊंचे टैरिफ का असर भारत के टेक्सटाइल, लेदर, जेम्स-ज्वेलरी और फूड उत्पादों के निर्यात पर पड़ा है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में भारत का अमेरिकी निर्यात $8.01 अरब से घटकर $6.86 अरब डॉलर रह गया। सितंबर में भी निर्यात में और गिरावट दर्ज की गई है। इस झटके से निपटने के लिए भारत सरकार अब नए बाजारों की तलाश और निर्यातकों के लिए प्रोत्साहन योजनाएं बढ़ाने पर काम कर रही है।
$500 अरब व्यापार लक्ष्य की दिशा में बातचीत
दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते पर बातचीत फरवरी 2025 में शुरू हुई थी। लक्ष्य है- 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को $500 अरब तक पहुंचाना। अब तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है। छठा दौर, जो अगस्त में टल गया था, अब अगले महीने होने की उम्मीद है, जिसमें समझौते के पहले चरण पर सहमति बनने की संभावना है।
नवीन ऊर्जा और परमाणु क्षेत्र में अमेरिकी निवेश की उम्मीद
भारत चाहता है कि अमेरिकी कंपनियां उसके नवीकरणीय और परमाणु ऊर्जा क्षेत्रों में बड़ी भूमिका निभाएं। अधिकारी के अनुसार, नवीकरणीय ऊर्जा में आने वाला निवेश, भारत-अमेरिका संबंधों का अहम हिस्सा है। हम अमेरिका से अधिक LNG खरीदने के लिए भी तैयार हैं।
अमेरिका में भारतीय निवेश को लेकर भी सकारात्मक रुख
ट्रम्प प्रशासन की मांग के अनुसार, भारत से अमेरिका में अधिक निवेश को लेकर भी नई दिल्ली ने सकारात्मक संकेत दिए हैं। अधिकारी ने कहा, हम अमेरिकी बाजार में भारतीय निवेश को चीन के मॉडल की तरह एक अवसर के रूप में देखते हैं।
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login