भारत की सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए राजधानी दिल्ली में दिवाली के दौरान कुछ शर्तों के साथ ‘ग्रीन पटाखों’ के उपयोग की अनुमति दी है। यह फैसला तब आया है जब दिल्ली हर साल की तरह इस बार भी खतरनाक स्तर के वायु प्रदूषण से जूझ रही है। भारत के सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 18 से 21 अक्टूबर के बीच सीमित समय के लिए ऐसे पटाखे चलाए जा सकते हैं, जिन्हें केंद्रीय अनुसंधान संस्थानों द्वारा विकसित किया गया है और जिनसे कण और गैस उत्सर्जन कम होता है।
सख्त शर्तों के साथ अनुमति
अदालत ने स्पष्ट किया कि केवल लाइसेंस प्राप्त निर्माता ही प्रमाणित ‘ग्रीन पटाखे’ बना सकेंगे। बिक्री केवल निर्धारित दुकानों पर ही होगी, हर उत्पाद पर QR कोड होगा, जिसमें उसके रासायनिक तत्वों की पूरी जानकारी दी जाएगी। ऑनलाइन बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध जारी रहेगा। दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया गया है कि वे पेट्रोलिंग टीम बनाएं और नियमों के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई करें। साथ ही प्रदूषण नियंत्रण एजेंसियों को भी त्योहारी अवधि के दौरान वायु गुणवत्ता की निगरानी और रिपोर्टिंग का आदेश दिया गया है।
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प्रदूषण को लेकर चिंता बरकरार
दिल्ली, जिसकी आबादी करीब तीन करोड़ है, हर साल सर्दियों में दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानियों में शामिल रहती है। दीवाली के दौरान पटाखों का धुआं पहले से ही खराब हवा में और ज़हर घोल देता है।15 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय मॉनिटरिंग कंपनी IQAir के अनुसार, दिल्ली में PM 2.5 का स्तर वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) पर 75 तक पहुंच गया, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की अनुशंसित सीमा से तीन गुना अधिक है।
पर्यावरणविदों की शंका
पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने ‘ग्रीन पटाखों’ की अनुमति पर सवाल उठाते हुए कहा है कि ये पटाखे भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं और सार्वजनिक स्वास्थ्य व पर्यावरण पर इनके प्रभाव को लेकर संदेह बना हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह फैसला संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाने की कोशिश है, ताकि त्योहार की परंपरा भी बनी रहे और वायु प्रदूषण पर भी नियंत्रण रखा जा सके।
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