जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भयावह आतंकी हमले की दुनियाभर में निंदा की जा रही है। इस हमले में 26 निर्दोष लोग मारे गए थे। जॉर्जिया के अटलांटा में आज एक शक्तिशाली विरोध रैली आयोजित की गई। इस रैली का उद्देश्य आतंकवाद की कड़ी निंदा करना और पीड़ितों के प्रति एकजुटता दिखाना था। इस हमले ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में व्यापक निंदा को जन्म दिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, उपराष्ट्रपति वेंस, राज्य सचिव, NSA, DNI, न्याय मंत्री, FBI निदेशक और कई सीनेटरों तथा प्रतिनिधियों ने भी हमले की निंदा करते हुए पीड़ितों और उनके परिवारों के प्रति अपनी एकजुटता व्यक्त की है।
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'आतंकवाद को नहीं, शांति को हां' के नारे
जॉर्जिया के हिंदू समुदाय द्वारा आयोजित इस रैली में समुदाय के कई प्रमुख नेताओं और स्थानीय संगठनों ने भाग लिया। रैली में सैकड़ों लोग शामिल हुए, जिन्होंने न्याय की मांग करते हुए आतंकवाद के खिलाफ नारे लगाए। रैली की शुरुआत सुवानी, जॉर्जिया से हुई, जहां प्रतिभागियों ने भारतीय और अमेरिकी ध्वज लहराए और "आतंकवाद को नहीं, शांति को हां" जैसे नारे लगाए।
यूएस-भारत सहयोग के लिए मुखर रूप से काम कर रहे कांग्रेसमैन डॉ. रिच मैककॉर्मिक ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "पहलगाम में हुआ यह घिनौना हमला आतंकवाद के वैश्विक खतरे को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका भारत के साथ मजबूती से खड़ा है और हम दोनों देशों की सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए खुफिया जानकारी और संसाधनों को साझा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
अटलांटा में भारतीय कांसुलेट जनरल ने इस जघन्य हमले की निंदा करते हुए कहा, "पहलगाम में हुआ यह कायरतापूर्ण हमला भारत द्वारा बनाए गए शांति और भाईचारे के मूल्यों पर सीधा हमला है। हम अटलांटा समुदाय और अमेरिकी सरकार का आभार व्यक्त करते हैं कि वे इस कठिन समय में हमारे साथ खड़े हैं।" जॉर्जिया राज्य के सीनेटर शॉन स्टिल ने कहा, "मैं इस क्रूर हिंसा से गहरे दुःख और आक्रोशित हूं। किसी के धर्म के आधार पर पहचान कर उन पर हमला करना शब्दों से परे है।"
हिंदू स्वयंसंवेक संघ (HSS) के प्रतिनिधि डॉ. अजय होडे ने कहा, "यह हमला केवल पहलगाम पर नहीं, बल्कि मानवता के मूल ताने-बाने पर था। HSS पीड़ित परिवारों और जम्मू और कश्मीर के लोगों के साथ खड़ा है। हम आतंकवादी नेटवर्क को खत्म करने के लिए एक वैश्विक गठबंधन का आह्वान करते हैं।"
कश्मीरी हिंदू समुदाय के सक्रिय सदस्य डॉ. सुबाश रज़दान ने कहा, "यह पहली बार नहीं है जब कश्मीर में हिंदुओं पर हमला हुआ है। 13वीं शताब्दी में 100% हिंदू जनसंख्या अब केवल कुछ हजारों में सिमट कर रह गई है।"
इस विरोध प्रदर्शन ने समुदाय की एकता और आतंकवाद मुक्त दुनिया के प्रति समर्पण को प्रदर्शित किया। भविष्य में होने वाली घटनाओं या राहत कार्यों में सहयोग करने के लिए आयोजकों ने अपील की।
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