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IIT दिल्ली से टेक्सास की राजनीति तक: संजय सिंघल ने सिटी काउंसिल चुनाव में रचा इतिहास

संजय सिंघल ने अपनी चुनावी मुहिम में सतत विकास, पारदर्शिता और सार्वजनिक सुरक्षा को प्रमुख मुद्दा बनाया।

संजय सिंघल अपने समर्थकों के साथ /

टेक्सास के शुगर लैंड शहर में जिला 2 की सिटी काउंसिल सीट पर भारतीय मूल के संजय सिंघल ने जीत हासिल की है। 7 जून को हुए रनऑफ चुनाव में उन्होंने पाकिस्तानी मूल के नासिर हुसैन को हराया। संजय सिंघल एक सेवानिवृत्त ऊर्जा कार्यकारी हैं और IIT दिल्ली के पूर्व छात्र रह चुके हैं। उन्होंने अपनी चुनावी मुहिम में सतत विकास, पारदर्शिता और सार्वजनिक सुरक्षा को प्रमुख मुद्दा बनाया।

सिंघल स्थानीय स्तर पर पहले से ही सक्रिय रहे हैं और टेलफेयर होमओनर्स एसोसिएशन में नेतृत्व करते हुए स्थानीय गैस पावर प्लांट के प्रस्ताव का विरोध करने के लिए चर्चित रहे। उनकी मुहिम में उनके नेतृत्व कौशल और समुदाय के बीच सहमति बनाने की क्षमता को खासतौर पर उजागर किया गया।

उनके समर्थक विजय पलोड़ ने कहा, “संजय जी की शानदार जीत उनके अथक प्रयास और समुदाय के साथ गहरे विश्वास का नतीजा है। यह सफलता भारतीय-अमेरिकन समुदाय के लिए प्रेरणा बनेगी और अधिक लोगों को सामुदायिक सेवा के लिए प्रोत्साहित करेगी।”

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न्यू इंडिया अब्रॉड से खास बातचीत
संजय सिंघल ने ‘New India Abroad’ से खास बातचीत में कहा कि यह जीत सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामूहिक नेतृत्व, पारदर्शिता और परिणाम आधारित राजनीति की जीत है। उन्होंने बताया कि कैसे इंडियन-अमेरिकन समुदाय की रिकॉर्ड 40% से ज्यादा वोटिंग ने इस अभियान को नई ऊर्जा दी और पूरे शहर में बदलाव का संकेत दिया।

सिंघल ने यह भी स्पष्ट किया कि चुनाव में उनकी भारतीय पहचान एक ताकत बनी, लेकिन उन्होंने इसे मुद्दा नहीं बनने दिया। उन्होंने कहा, “हमने हमेशा समाधान-आधारित राजनीति पर जोर दिया, न कि जातीय विभाजन पर।” उनकी टीम ने स्थानीय प्रशासन में बंद दरवाजों के पीछे होने वाले फैसलों के खिलाफ आवाज उठाई और खुले संवाद और नागरिक सहभागिता को प्राथमिकता दी।

अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि टेलफेयर एसोसिएशन में उन्होंने कैसे महंगाई के बीच फीस कम की, सुविधाएं बढ़ाईं और फंड मजबूत किया। यही कौशल अब वह सिटी काउंसिल में भी लाना चाहते हैं।

संदेश देते हुए संजय सिंघल ने कहा, “अगर हम भविष्य को आकार देना चाहते हैं, तो उसमें शामिल होना हमारी जिम्मेदारी है। भारतीय मूल के युवाओं को अब यह समझना होगा कि राजनीति सिर्फ संभव ही नहीं, बल्कि ज़रूरी है।” उनकी यह ऐतिहासिक जीत इस बात का प्रमाण है कि भारतीय-अमेरिकन समुदाय अब अमेरिकी राजनीति में भी निर्णायक भूमिका निभाने लगा है।

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