प्रकृति के बीच पत्थरों की अनूठी दुनिया / Tapasya Chaubey
फ्लोरिडा में एक जगह है कोरल कैसल। इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना। इसे आप प्यार का एक छोटा ताजमहल भी कह सकते हैं। एक बार को देखने से पत्थरों की आकृति और उनके रहस्य के सिवा कुछ नहीं समझ आता। फिर जैसे-जैसे आप गाइड के किस्सों में डूबते हैं, चकित होते जाते हैं।
एडवर्ड नाम का एक इंसान प्रेम में टूटा अकेले अपने दम पर यह पत्थरों का बगीचा अपनी प्रेमिका के लिए खड़ा करता है। हालांकि वह अलग बात रही कि प्रेमिका ने प्रेमी को धोखा दे दिया और किसी और से शादी कर ली।
प्रेमी, एडवर्ड प्रेमिका, एग्नेस के प्यार में ऐसा टूटा कि भटकता रहा। क्षय रोग से पीड़ित एडवर्ड को डॉक्टर ने सलाह दी गर्म जगह रहने की। ऐसे में 1923 में एडवर्ड फ्लोरिडा पहुंचा। और यहां से शुरू हुई उसकी कैसल रचना।
उसने कोरल की भारी चट्टानों से अलग-अलग आकृतियां बनानी शुरू कीं। वह यह काम अकेले करता और बरसों करता रहा। किसी को पता नहीं चलता की वह कैसे इतने भारी पत्थर अकेले मूव करता है ?
यहां हर पत्थर की है एक कहानी... / Tapasya Chaubeyपूछने पर पर लोगों को बताता कि उसे पिरामिड का रहस्य मालूम है। साथ ही वह कभी भी दिन में काम नहीं करता, न किसी को अपने परिसर में आने देता। करीब तीस साल लगातार काम करने के बाद उसने पत्थरों का एक बगीचा बनाया जिसे तब रॉक गार्डन कहा जाता था। लोग इसे देखने आने लगे। इसे देखने को 10 सेंट टिकट लिया जाने लगा। एडवर्ड को उम्मीद थी कि कभी तो उसकी प्रेमिका यह गार्डन देखने आएगी... पर वह कभी नहीं आयी।
इस गार्डन को लेकर लोग कई तरह की बातें करते पर एडवर्ड ने कभी बताया नहीं कि उसने कैसे इतने भारी-भारी पत्थर हटाए और जोड़े। वह भी अकेले। ऐसे में लोगों ने अनुमान लगाना शुरू किया कुछ अदृश्य शक्तियां या एलियन उसकी मदद करते थे।
वहीं कुछ विज्ञानिकों का कहना है कि उसे मैग्नेटिक फील्ड, साउंड इंजीनियरिंग की अच्छी जानकारी थी और वह उनकी मदद से पत्थरों को मूव (यहां से वहां) करता था। हैरत तो यह थी कि वह बस चौथी पास व्यक्ति था। मेरे अनुसार यह सब शायद उसका बस अनुभव हो। आज यह कैसल अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। साथ ही प्रसिद्ध हैं इसके पीछे छिपी कई मनगढ़ंत कहानियाँ…
कैसे जाएं...
कोरल कैसल, मियामी से एवरग्लैड वाले रास्ते में पड़ता है। एंट्री फी: $25 पर पर्सन, छह साल से बारह साल तक के बच्चों का टिकट $8 है और पार्किंग फ्री है। यहां घूमने को दो घंटे काफी हैं। साथ ही हर 45 मिनट पर गाइडेड टूर शुरू होता है जो हर पत्थर की कोई न कोई कहानी सुनाता है। हां, यहां धूप बहुत तेज लगती है। यहां छाता गेट पर जरूर ले लें और पानी की बोतल साथ रखें।
ध्यान रहे...
यहां अब किसी पत्थर को छूना या उस पर चढ़ना मना है पर कुछ बरसों पहलें तक यहां के रॉकिंग चेयर ( पत्थरों का रॉक) पर बैठ सकते थे, रॉक कर सकते थे। मून वाली आकृति पर भी चढ़ कर तस्वीरें ले सकते थे।
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