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कंपनियां नए शुल्क से बचने के लिए H-1B कर्मचारियों को अमेरिका में ही रखने की कोशिश कर रही हैं: शीर्ष इमिग्रेशन वकील

अब H-4 वीजा पर काम करने वाले जीवनसाथियों को तभी काम की अनुमति मिलेगी जब USCIS उनका नया EAD कार्ड जारी कर दे।

H-4 और H-1B परिवारों के लिए अनिश्चितता और देरी / (Photo: iStock)

अमेरिका में वीजा नियम बदलने के बाद भारतीय मूल के कई H-4 और H-1B परिवारों के लिए अनिश्चितता और देरी बढ़ गई है। अमेरिका के USCIS ने वह नीति समाप्त कर दी है जिसके तहत EAD नवीनीकरण के लिए आवेदन करने वाले लोगों को 540 दिनों का ऑटो-एक्सटेंशन मिल जाता था।

अब H-4 वीजा पर काम करने वाले जीवनसाथियों को तभी काम की अनुमति मिलेगी जब USCIS उनका नया EAD कार्ड जारी कर दे। इससे कई लोगों की नौकरी रुक जाएगी क्योंकि नवीनीकरण में देरी आम होती जा रही है।

इमिग्रेशन लॉ फर्म Fragomen के पार्टनर एरोन ब्लमबर्ग ने कहा कि H-4 EAD और OPT दोनों में देरी दिख रही है। उन्होंने बताया कि STEM OPT बढ़ाने वाले छात्रों को 180 दिनों तक काम जारी रखने की अनुमति मिलती है, लेकिन H-4 EAD धारकों के लिए यह सुविधा नहीं है। इसलिए H-4 वीजा पर काम करने वाले कई लोगों की नौकरी रुक रही है।

इस बीच 1,00,000 डॉलर के नए H-1B शुल्क के लागू होने से भारत समेत कई देशों के आवेदकों पर असर हुआ है। सबसे अधिक नुकसान उन नियोक्ताओं को हो रहा है जो H-1B कैप से मुक्त हैं जैसे विश्वविद्यालय और गैर-लाभकारी संस्थान।

ब्लमबर्ग के अनुसार कई नियोक्ता इस भारी शुल्क से बचने के लिए यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि H-1B वीजा पाने वाले कर्मचारी अमेरिका के अंदर ही मौजूद हों ताकि उनका आवेदन इन-कंट्री चेंज ऑफ स्टेटस के रूप में दाखिल किया जा सके। इस प्रक्रिया में नया शुल्क नहीं लगता। विदेश से भर्ती किए गए लोगों के लिए कुछ नियोक्ताओं ने नेशनल इंटरेस्ट एक्सेप्शन (NIE) की भी कोशिश की है, लेकिन अब तक किसी भी ऐसे अनुरोध पर फैसला नहीं आया है।

इसके साथ ही अमेरिका के श्रम विभाग की नई पहल प्रोजेक्ट फ़ायरवॉल भी H-1B प्रक्रिया को प्रभावित कर रही है। इसका उद्देश्य कंपनियों द्वारा H-1B के दुरुपयोग को रोकना और अमेरिकी नागरिकों को नौकरी में प्राथमिकता देना है।

हालांकि इसके नियमों में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन कंपनियों पर निगरानी और अनुपालन का बोझ बढ़ गया है। Fragomen के पार्टनर के. एडवर्ड रैले ने कहा कि अब हर H-1B आवेदन पर जांच की संभावना बढ़ गई है और छोटी-सी कमी भी ध्यान में आ सकती है।

उन्होंने कहा कि कई कंपनियां अब यह भी आकलन कर रही हैं कि वेतन, काम की भूमिका या कार्यस्थल में बदलाव कितना बड़ा है और क्या ऐसे बदलाव पर H-1B संशोधन (अमेंडमेंट) दाखिल करना जरूरी होगा। विभागों के बीच समन्वय बढ़ने से जोखिम और बढ़ गया है, क्योंकि श्रम विभाग द्वारा उठाया गया कोई भी मुद्दा USCIS या न्याय विभाग तक पहुंच सकता है।

रैले ने कहा कि ऐसी स्थिति में कंपनियां यह सुनिश्चित करने पर ध्यान दे रही हैं कि उनके पास सभी दस्तावेज उपलब्ध हों और वे हर नियम का पालन कर रही हों।

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