सीनेटर एलेक्स पैडिला को कश्मीरी हिंदू समुदाय के सदस्यों और कई वकालत समूहों की ओर से बढ़ती आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। पैडिला ने हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बारे में अपने मतदाताओं की दलीलों पर विवादास्पद प्रतिक्रिया दी थी। पहलगाम आतंकी हमले में 26 हिंदू पर्यटकों की जान चली गई थी। उन्हे केवल उनकी धार्मिक पहचान के लिए निशाना बनाया गया था।
Dear @SenAlexPadilla several of our members and your constituents have shared this email they received today, in response to their plea for you to condemn the recent terrorist attacks on Hindus in #Pahalgam, Kashmir. Like your constituents, we are aghast and shocked at the… pic.twitter.com/bSOc4T8pjZ
— CoHNA (Coalition of Hindus of North America) (@CoHNAOfficial) May 13, 2025
संबंधित मतदाताओं को भेजे गए ईमेल में सीनेटर पैडिला क्रूर हत्याओं को स्वीकार करने में विफल रहे। इसके बजाय सीनेटर ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता के माहौल पर व्यापक चिंताओं पर ध्यान केंद्रित किया। इसे मतदाताओं ने 'बेबुनियाद' और पीड़ितों की पीड़ा को खारिज करने वाला बताया।
एक वकालत समूह के प्रवक्ता ने पूछा कि 26 हिंदुओं की हत्या सहानुभूति के एक शब्द के भी लायक कैसे नहीं है? यह न केवल एक मानवीय त्रासदी थी बल्कि एक लक्षित धार्मिक हत्या थी और असंबंधित मुद्दों का राजनीतिकरण करते हुए इसे अनदेखा करना बहुत दुखद है।
सीनेटर के ईमेल में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को धार्मिक भेदभाव का उदाहरण बताया गया है। इस तुलना को समुदाय के सदस्यों ने अस्वीकार कर दिया। उनका तर्क है कि यूएस लॉटेनबर्ग संशोधन के बाद तैयार किया गया CAA भारतीय मुसलमानों को प्रभावित किए बिना पड़ोसी मुस्लिम-बहुल देशों से सताए गए अल्पसंख्यकों को त्वरित शरण प्रदान करता है।
उन्होंने कहा कि इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि कश्मीर के जातीय खात्मे के इतिहास को पूरी तरह मिटा दिया गया है। 1990 के दशक की शुरुआत में, 500,000 से अधिक कश्मीरी हिंदुओं को इस्लामी आतंकवादी समूहों द्वारा खदेड़ दिया गया था। कई बचे हुए लोग और उनके वंशज अब कैलिफ़ोर्निया में रहते हैं। फिर भी, मतदाताओं का कहना है कि उनके आघात को यूएस सांसदों और USCIRF जैसे आयोगों द्वारा पहचाना नहीं गया है, जिसका पैडिला ने अपने संदेश में उल्लेख किया है।
वकालत समूहों ने कश्मीर में चल रही लक्षित हत्याओं पर सीनेटर की चुप्पी की भी आलोचना की जिसमें 2022 में सिविल सेवक राहुल भट की हत्या और पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा शिक्षकों और प्रवासी श्रमिकों पर हमले शामिल हैं।
समुदाय के नेताओं ने इस चयनात्मक वकालत को 'नैतिक विफलता' कहा है और दक्षिण एशियाई मुद्दों पर संतुलित, तथ्य-आधारित जुड़ाव का आग्रह किया है। एक प्रतिनिधि ने जोर देकर कहा कि भारत एक बहुलवादी लोकतंत्र है जो जटिल चुनौतियों से जूझ रहा है। वास्तविक वकालत को सभी समुदायों के दुखों को संबोधित करना चाहिए, न कि उन्हें राजनीतिक सुविधा के लिए खारिज करना चाहिए।
Deeply disappointed by @SenAlexPadilla’s response to constituents after the April 22 Pahalgam terror attack, where Pakistan-backed terrorists murdered 26 Indian civilians. Instead of standing with the victims, his response ignored the attack entirely, opting to recycle talking… pic.twitter.com/mfa6R4jlIo
— Hindu American Foundation (@HinduAmerican) May 13, 2025
वकालत करने वाले समूह अब सीनेटर पैडीला के कार्यालय से औपचारिक माफी और अधिक न्यायसंगत प्रतिनिधित्व की मांग कर रहे हैं।
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