ADVERTISEMENT

ADVERTISEMENT

सोशल मीडिया की बढ़ती ताकत और खतरे: TikTok और विदेशी प्लेटफॉर्म्स पर सतर्कता जरूरी

अब अमेरिका और चीन इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि TikTok के अमेरिकी संचालन को किसी अमेरिकी कंपनी को सौंपा जाए।

प्रतीकात्मक तस्वीर / AI generated using Perplexity

हाल के वर्षों में सोशल मीडिया वैश्विक राजनीति और जनमत को प्रभावित करने वाले प्रमुख माध्यम के रूप में उभरा है। अमेरिका विशेष रूप से विदेशी-स्वामित्व वाले प्लेटफॉर्म्स के खतरों के प्रति सतर्क है। पिछले साल TikTok पर प्रतिबंध लगाया गया था, लेकिन यह प्रतिबंध केवल एक दिन ही लागू रहा। 

अब अमेरिका और चीन इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि TikTok के अमेरिकी संचालन को किसी अमेरिकी कंपनी को सौंपा जाए। TikTok के यूजर्स की संख्या अमेरिका में करीब 1.8 करोड़ और दुनिया भर में 15 करोड़ से अधिक है, जिससे इसकी पहुंच और डेटा अत्यधिक प्रभावशाली बनता है।

यह भी पढ़ें- गाजा संकट और भारत: नैतिक नेतृत्व की परीक्षा

विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल मीडिया की आसानी से पहुंच, तेज़ी और संक्षिप्तता इसे शक्तिशाली बनाती है। लेकिन यही वजह है कि इसे आसानी से गलत जानकारी फैलाने, सार्वजनिक राय को गुमराह करने और राजनीतिक व सामाजिक अस्थिरता पैदा करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। फेसबुक, ट्विटर और TikTok जैसे प्लेटफॉर्म्स पर एल्गोरिदम इस तरह डिज़ाइन किए गए हैं कि वे केवल यूजर इंगेजमेंट बढ़ाएँ, बिना किसी सत्यापन के। इससे झूठी और विवादित सामग्री तेजी से फैलती है।

अमेरिका और अन्य देशों के अनुभव बताते हैं कि राज्य और कॉर्पोरेट एजेंट एल्गोरिदम का इस्तेमाल विशेष प्रकार की सामग्री फैलाने, चुनाव प्रभावित करने और जनमत को बदलने के लिए कर सकते हैं। Cambridge Analytica कांड इसका एक बड़ा उदाहरण है। सोशल मीडिया पर बॉट्स, टार्गेटेड प्रचार और AI-सृजित कंटेंट ने डिजिटल दुनिया को नए प्रकार के युद्धक्षेत्र में बदल दिया है।

विशेष रूप से युवा वर्ग, जो इन प्लेटफॉर्म्स का बड़ा हिस्सा हैं, राजनीतिक और सामाजिक संदेशों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं। TikTok जैसी एप्स, जो पहले मनोरंजन और शॉर्ट वीडियो के लिए जानी जाती थीं, अब राजनीतिक बहस और प्रचार के लिए इस्तेमाल हो रही हैं।

चीन के कानून के तहत सरकार सोशल मीडिया कंपनियों से उपयोगकर्ताओं के डेटा की मांग कर सकती है, जिससे सुरक्षा और गोपनीयता का सवाल खड़ा होता है। भारत और अन्य देशों ने भी TikTok पर प्रतिबंध लगाया है, विदेशी हस्तक्षेप और सूचना युद्ध के खतरे को देखते हुए।

विशेषज्ञों का निष्कर्ष है कि सोशल मीडिया का उपयोग जरूरी और मूल्यवान है, लेकिन इसके दुरुपयोग और एल्गोरिदमिक हेरफेर से समाज की स्थिरता को खतरा है। इसलिए देशों को मिलकर ऐसे नियम और सुरक्षा उपाय बनाने होंगे, जो गलत जानकारी फैलाने और प्लेटफॉर्म्स के दुरुपयोग को रोक सकें और समाज की अखंडता बनाए रख सकें।

लेखक एक लेखक और स्तंभकार हैं। उन्होंने 15 से अधिक किताबें लिखी हैं, जिनमें 'तालिबान: अफगानिस्तान में युद्ध और धर्म' नामक पुस्तक भी शामिल है।

(इस लेख में व्यक्त किए गए विचार और राय लेखक के अपने हैं और जरूरी नहीं कि वे New India Abroad की आधिकारिक नीति या दृष्टिकोण को दर्शाते हों।)

Comments

Related