पंजाब के छोटे से गांव सलेमपुरा के निवासी 37 वर्षीय दलेर सिंह के सपने चकनाचूर हो गए हैं। उन्हें अवैध रूप से अमेरिका पहुंचने बाद महज तीन हफ्ते के अंदर ही वापस भारत भेज दिया गया है। छह महीने की कठिन यात्रा और लगभग 45 हजार डॉलर (करीब 40 लाख रुपये) खर्च करने के बाद अमेरिका ने उन्हें अन्य 103 भारतीयों के साथ डिपोर्ट कर दिया है।
पंजाब के ही 23 वर्षीय आकाशदीप सिंह को अमेरिका भेजने के लिए उनके परिवार ने दो ट्रैक्टर और ज़मीन बेचकर 60 लाख रुपये इकट्ठा किए थे। अब वह भी भारत वापस भेज दिए गए हैं। बुधवार को अमेरिकी सैन्य विमान सी-17 ग्लोबमास्टर से इन प्रवासियों को हाथ-पैर बांधकर भेजा गया।
यह डिपोर्टेशन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चुनावी वादों को पूरा करने का एक उदाहरण है, लेकिन भारत के लिए बड़ा झटका है। खासकर ऐसे समय में जब पीएम नरेंद्र मोदी कुछ ही दिनों में वाशिंगटन जाने वाले हैं।
गांव वापस लौटने के बाद दलेर सिंह ने कहा कि मैंने जिंदगी भर की सारी कमाई खो दी। मेरे सपने टूट गए। लोगों को सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी अवैध तरीके से विदेश न जाए, दलालों के झूठे वादों में न फंसे। अगर विदेश जाना है तो सही वीजा प्रक्रिया अपनाकर ही जाए।
दलेर सिंह ने बताया कि अमेरिका जाने के लिए उन्होंने परिवार के गहने और ज़मीन गिरवी तक रख दी थी। अगस्त में दुबई से यात्रा शुरू की थी। कई महीनों तक वहां इंतजार किया और फिर मैक्सिको होते हुए अमेरिका की कठिन राह पकड़ी। 15 जनवरी को अमेरिकी अधिकारियों ने उन्हें हिरासत में ले लिया और बाद में अन्य भारतीयों के साथ डिपोर्ट कर दिया।
अमेरिकी सीमा सुरक्षा बल के प्रमुख माइकल डब्ल्यू. बैंक्स ने एक वीडियो साझा किया जिसमें भारतीय प्रवासियों को बेड़ियों में जकड़े सैन्य विमान में दिखाया गया है। दलेर सिंह ने बताया कि पूरे सफर के दौरान हमारे हाथ-पैर बंधे रहे। खाने के समय भी नहीं खोला गया। यह हमारे लिए बेहद अपमानजनक था।
भारत में विपक्षी दलों ने इसे लेकर जोरदार विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसद में बयान देते हुए कहा कि अमेरिका से डिपोर्ट किए जाते समय पुरुषों को बांधकर रखा जाता है, लेकिन महिलाओं और बच्चों से ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि पिछले 16 साल में 15 हजार से अधिक भारतीयों को अमेरिका से डिपोर्ट किया जा चुका है।
जयशंकर ने कहा कि हम अमेरिकी सरकार से लगातार संपर्क में हैं ताकि सुनिश्चित कर सकें कि वापस भेजते समय प्रवासियों से दुर्व्यवहार न हो। उन्होंने कहा कि हमें अवैध इमिग्रेशन इंडस्ट्री पर सख्त कार्रवाई करनी होगी और कानूनी तरीके से यात्रा को आसान बनाना होगा। सरकार ऐसे एजेंटों पर नकेल कसेगी जो अवैध तरीके से लोगों को विदेश भेजने का धंधा कर रहे हैं।
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