एक राष्ट्रीय अनुसंधान और नीति संगठन AAPI और ऑनलाइन सर्वेक्षणों में अग्रणी सर्वेमंकी ने अपने चौथे वार्षिक सर्वेक्षण के निष्कर्ष जारी किए हैं। सर्वे के नतीजे एशियाई अमेरिकी, मूल हवाईयन और प्रशांत द्वीप वासी (AANHPI) लोगों के अमेरिकी कार्यस्थलों और समुदायों में दृष्टिकोण और अनुभवों पर प्रकाश डालते हैं।
सर्वे के अनुसार AANHPI व्यक्तिगत और व्यावसायिक संदर्भों में खुद को जिस तरह पहचानते और पेश करते हैं उसमें एक बड़ा अंतर है। काम पर अधिकांश एशियाई (56 प्रतिशत) अमेरिकी के रूप में पहचान करते हैं जैसे 68 प्रतिशत अमेरिकी भारतीय या अलास्का मूल निवासी (AIAN) और 59 प्रतिशत मूल हवाईयन या प्रशांत द्वीपवासी (NHPI) करते हैं।
लेकिन व्यक्तिगत संदर्भ में 63 प्रतिशत एशियाई और 59 प्रतिशत NHPI अपनी नस्लीय या जातीय विरासत के साथ अधिक मजबूती से अपनी पहचान करते हैं। यह पेशेवर वातावरण में नस्लीय पहचान व्यक्त करने में संभावित चुनौतियों और बाधाओं का परिचायक है।
सर्वेक्षण में पाया गया कि नेतृत्व की भूमिकाओं में प्रतिनिधित्व एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है। चार एशियाई श्रमिकों में से एक (24 प्रतिशत) का मानना है कि उनके नियोक्ता नेतृत्व में विविधता और प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा केवल 24 प्रतिशत एशियाई कर्मचारी इस बात को लेकर दृढ़ता से सहमत हैं कि उन्हें नेतृत्व के अवसरों के लिए समर्थन प्राप्त है। हालांकि यह सभी नस्लीय समूहों में सबसे कम है।
प्रतिनिधित्व के अलावा सुरक्षा चिंताएं और घृणा अपराधों की रिपोर्टिंग भी महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। एशियाई अमेरिकी घृणा अपराधों की रिपोर्ट करने में कम सहज हैं। अन्य नस्लीय समूहों के बीच उच्च प्रतिशत की तुलना में केवल 31 प्रतिशत ही ऐसा करने में 'बहुत सहज' महसूस करते हैं। इसके अतिरिक्त 33 प्रतिशत अमेरिकी सार्वजनिक स्थानों पर कम सुरक्षित महसूस करते हैं।
सर्वेक्षण में इस बात को रेखांकित किया गया है कि नस्लीय अपमान के रूप में भेदभाव प्रचलित है। विशेष रूप से मूल निवासी हवाईयन और प्रशांत द्वीपवासियों के बीच, जो उच्चतम दर (30 प्रतिशत) का अनुभव करते हैं।
सर्वे निष्कर्षों के मद्देनजर AAPI डेटा के संस्थापक और कार्यकारी निदेशक कार्तिक रामकृष्णन ने पेशेवर नेतृत्व और सार्वजनिक सुरक्षा में AANHPI और अन्य अश्वेत समुदायों के उत्थान के महत्व पर जोर दिया है। वहीं, सर्वेमंकी के वरिष्ठ अनुसंधान वैज्ञानिक एम गुटिरेज ने देश के सामने आने वाली उभरती चुनौतियों और डेटा-संचालित अंतर्दृष्टि के महत्व को रेखांकित किया।
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