(डॉ. पद्मा शांति जगदाभी और डॉ. धर्मवीर सिंह राणा)
भारत के किसान हमारे असली हीरो हैं। ये वही लोग हैं जो अपने खेतों में उम्मीदें बोते हैं और उर्वरक के सहारे उन्हें हकीकत में बदलते हैं। लेकिन उर्वरक की बढ़ती कीमतें किसानों के लिए हमेशा चुनौती रही हैं। क्या अब भारत अपने विशाल कोयला भंडार को यूएस की TRIG तकनीक से गैसिफाई करके घरेलू उर्वरक उत्पादन बढ़ा सकता है और किसानों की मुश्किलों को कम कर सकता है?
कोयला: संसाधन से शक्ति
भारत के पास दुनिया के सबसे बड़े कोयला भंडार हैं, लगभग 378.2 अरब टन। पहले इसे प्रदूषण का कारण माना जाता था, लेकिन अब इसे किसानों की जरूरतों और देश की खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में देखा जा रहा है। भारत के प्रमुख कोयला क्षेत्रों जैसे तालचर (38.65 अरब टन) और झरिया (19.4 अरब टन) में लगातार उत्पादन बढ़ रहा है। 2024–25 में उत्पादन 1,047.7 मिलियन टन तक पहुंच गया, जो देश की खनन और लॉजिस्टिक क्षमता को दर्शाता है।
खाद्य सुरक्षा की चुनौती: उर्वरक
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उर्वरक उपभोक्ता है, लेकिन फिर भी आयात पर निर्भर है। यूरिया का लगभग 20% और DAP का 50–60% आयात किया जाता है, जबकि MOP पूरी तरह से आयातित है। हर साल लगभग 15 मिलियन टन उर्वरक की मांग घरेलू उत्पादन से पूरी नहीं हो पाती। इस वजह से सरकार का सब्सिडी बिल 1.88 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो देश की आर्थिक स्थिरता और खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है।
कोयले से उर्वरक: एक नया रास्ता
एक समाधान यह हो सकता है कि कोयले को गैसिफाई करके अमोनिया और यूरिया के लिए इस्तेमाल किया जाए। इससे आयात कम होंगे, सब्सिडी पर दबाव घटेगा और किसानों को वैश्विक कीमतों के झटकों से सुरक्षा मिलेगी।
लेकिन भारत का कोयला ऐश-भारी है, इसलिए पारंपरिक गैसिफिकेशन तकनीक से काम नहीं होता। यहाँ यूएस की TRIG तकनीक मददगार साबित हो सकती है। यह तकनीक विशेष रूप से हाई-ऐश और लिग्नाइट कोयले के लिए बनाई गई है और इसमें ऐश को सूखी अवस्था में निकाला जाता है, जिससे बंद होने या जाम होने की समस्या नहीं आती।
नई औद्योगिक दिशा
नई दिल्ली ने अगले 10 साल में 100 मिलियन टन कोयला गैसिफाई करने के लिए 4 ट्रिलियन रुपये ($48 बिलियन) निवेश की योजना बनाई है। इससे भारत में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा मिलेगा और खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी। अमेरिका के लिए तकनीक लाइसेंसिंग और संयुक्त उद्यम के अवसर बढ़ेंगे।
कोयला: खाद्य सुरक्षा और साझेदारी का आधार
अब कोयला सिर्फ प्रदूषण का कारण नहीं, बल्कि खाद्य सुरक्षा और आर्थिक आत्मनिर्भरता का माध्यम बन सकता है। यह तकनीक किसानों की मदद करेगी, उद्योगों को सशक्त बनाएगी और भारत–अमेरिका के बीच साझेदारी को मजबूत करेगी।
भारत का कोयला अब सिर्फ संसाधन नहीं, बल्कि खेती और उद्योग में नवाचार और दोस्ती का प्रतीक बन सकता है। विज्ञान और तकनीक के जरिए यह असंभव को संभव कर सकता है और देश को खाद्य सुरक्षा की दिशा में आत्मनिर्भर बना सकता है।
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