अमेरिका के नेतृत्व अध्ययन दौरे पर गए इंडियाज़ इंटरनेशनल मूवमेंट टू द यूनाइटेड नेशंस (IIMUN) के प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में अमेरिका की भारतीय मूल की ‘सेकंड लेडी’ उषा वांस से मुलाकात की। यह मुलाकात संस्था के 15-दिवसीय यूएस टूर का हिस्सा थी, जिसमें भारत के विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमियों से आए 15 छात्र शामिल हैं।
2011 में मुंबई से शुरू हुई IIMUN दुनिया की सबसे बड़ी युवा-चालित गैर-लाभकारी संस्था मानी जाती है। इस दौरे के दौरान छात्रों ने अमेरिका के सरकारी संस्थानों, राजनयिक निकायों और निजी क्षेत्र के नेताओं से मुलाकात की, जिसका उद्देश्य था—वैश्विक दृष्टिकोण रखने वाले युवा नेतृत्व का निर्माण।
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प्रतिनिधिमंडल ने उषा वांस से हुई मुलाकात को अविस्मरणीय अनुभव बताया। छात्रों ने कहा, हम कई राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों की मेजबानी कर चुके हैं, लेकिन उनसे मिलना बेहद खास था, क्योंकि वे दुनिया की दो सबसे मजबूत लोकतंत्रों—भारत और अमेरिका—की जड़ों का प्रतीक हैं।
उन्होंने आगे कहा, संयुक्त राज्य अमेरिका की पहली भारतीय-अमेरिकी, पहली एशियाई-अमेरिकी और पहली हिंदू सेकंड लेडी ने हमारी टीम से मिलने के लिए समय निकाला। यह उस समय हुआ जब भारत-अमेरिका रिश्तों में कुछ तनाव है, जिससे यह साबित होता है कि IIMUN की वैश्विक भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है।
संस्था ने कहा कि यह मुलाकात इस बात का प्रमाण है कि भारत के युवाओं और नागरिक समाज की आवाज़ें अब दुनिया के सबसे प्रभावशाली गलियारों तक पहुंच रही हैं। समूह ने इसे संवाद बढ़ाने, रिश्ते मजबूत करने और भविष्य के नेताओं को आज की साझेदारियों में शामिल करने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया।
प्रतिनिधिमंडल ने वॉशिंगटन डीसी स्थित भारतीय दूतावास में भारत के राजदूत से भी भेंट की और कहा कि उन्होंने युवा और नागरिक समाज की भूमिका को भारत-अमेरिका संबंधों में और मजबूत करने पर चर्चा की। छात्रों का दल अमेरिकी कैपिटोल हिल, ईसेनहावर एग्जीक्यूटिव ऑफिस बिल्डिंग, और कांग्रेस के दोनों सदनों का भी दौरा कर चुका है। छात्रों ने इसे “इतिहास लिखे जाने वाले गलियारों में चलने का अवसर” बताया और कहा कि यह अनुभव IIMUN की विश्वसनीयता और प्रभाव का प्रमाण है।
इसके अलावा, उन्होंने वॉशिंगटन डी.सी. की पुलिस मुख्यालय, फेडरल इलेक्शन कमीशन, विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का भी दौरा किया। प्रतिनिधिमंडल ने अपने अनुभव को लीडरशिप का क्रैश कोर्स बताते हुए कहा कि डी.सी. ने हमें टूर नहीं दिया, बल्कि हमें कूटनीतिक ऊर्जा से भरी यात्रा पर रखा।
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