प्रतीकात्मक तस्वीर / pexels
भारतीय-अमेरिकी समुदाय ने दान में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय-अमेरिकियों द्वारा दान की जाने वाली राशि 2024 में बढ़कर 4 से 5 अरब डॉलर तक पहुंच गई है, जो 2018 की तुलना में लगभग तीन गुना वृद्धि दर्शाती है। इससे भारतीय-अमेरिकियों के संभावित और वास्तविक दान के बीच का ‘गिविंग गैप’ घटकर 2–3 अरब डॉलर से अब सिर्फ 1 अरब डॉलर रह गया है।
यह रिपोर्ट “From Closing the Gap to Setting the Standard: The State of Philanthropic Giving in the Indian American Diaspora” को Dalberg, Indiaspora और India Philanthropy Alliance (IPA) ने संयुक्त रूप से तैयार किया है। रिपोर्ट बताती है कि भारतीय-अमेरिकी अब न सिर्फ अपनी दान क्षमता के करीब पहुंच गए हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर परोपकार की नई मिसाल कायम करने की स्थिति में हैं।
इंडिया फिलैंथ्रॉपी अलायंस के कार्यकारी निदेशक एलेक्स काउंट्स ने कहा, कई वर्षों तक यह अंतर खत्म करना असंभव लग रहा था। लेकिन अब यह देखकर गर्व होता है कि यह गैप सिर्फ 1 अरब डॉलर तक सिमट गया है। अब हमारा लक्ष्य इसे पूरी तरह समाप्त कर एक स्थायी परोपकारी संस्कृति बनाना है।
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रिपोर्ट के अनुसार, यह बढ़ोतरी केवल आय में वृद्धि के कारण नहीं, बल्कि समुदाय में दान की भावना और प्रतिबद्धता के गहराने से संभव हुई है, खासतौर पर उच्च आय वर्ग के दाताओं में, जो अब अमेरिकी औसत से अधिक हिस्सा दान कर रहे हैं।
संगठन ने यह भी बताया कि बाकी बचे 1 अरब डॉलर के अंतर को खत्म करने के लिए दूसरी और तीसरी पीढ़ी, महिला दाताओं और नए दानकर्ताओं को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। कई युवा दाताओं ने बताया कि उन्हें अब तक उन कारणों के लिए दान करने को कहा ही नहीं गया जिनसे वे जुड़ाव महसूस करते हैं।
इंडियास्पोरा के संस्थापक एम. आर. रंगस्वामी ने कहा, 2018 में हमने इस समुदाय की अपार दान क्षमता का संकेत दिया था। कोविड काल के दौरान सामूहिक प्रयासों और वार्षिक परोपकार सम्मेलनों ने बड़ा अंतर पैदा किया। यह 2025 की रिपोर्ट दर्शाती है कि समुदाय अब अधिक दान कर रहा है और उदारता की स्थायी संस्कृति बना रहा है।
डालबर्ग की पार्टनर स्वेथा तोतापल्ली ने बताया कि आने वाले 20 वर्षों में भारतीय-अमेरिकी समुदाय से करीब 2 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति अगली पीढ़ी में स्थानांतरित होगी। यदि वे हर साल सिर्फ 1% दान करें, तो यह 20 अरब डॉलर वार्षिक दान में बदल सकता है। उन्होंने कहा,भारतीय-अमेरिकी प्रवासी समुदाय के पास अपार परोपकारी क्षमता है। उनका नेटवर्क, प्रोफेशनल कौशल और सामाजिक प्रभाव दुनिया में स्थायी बदलाव ला सकता है।
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