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एक विशुद्ध भारतीय धन्यवाद-भोज!

वीना पटेल जैसी कुकबुक लेखिकाएं अमेरिकियों की टेबल पर कचौरी के स्वाद वाले तिल आलू बम पेश कर रही हैं।

अधिकांश आप्रवासियों के लिए धन्यवाद ज्ञापन देश में उनके पहले अनुभव की पुनरावृत्ति बन जाता है। / Ritu Marwah

मैरी डिसूजा को अपना पहला धन्यवाद भोज याद है। वह 1967 का नवंबर था। मैरी बैग भरकर साड़ियों के साथ भारत से कनाडा में अपने 'बर्फीले विश्वविद्यालय' में पहुंची थीं। हर दिन वह एक सुंदर सी साड़ी पहनतीं, उसपर अपना कोट पहनकर अपनी रसायन विज्ञान प्रयोगशाला में जाती थीं। वह कहती हैं- मेरे मार्गदर्शक डॉ. डाल्टन ने मुझे थैंक्सगिविंग डिनर के लिए अपने घर पर आमंत्रित किया था। मुझे आश्चर्य हुआ। उनके सभी बच्चे वहां मौजूद थे जिन्होंने मेरा स्वागत किया। 

दोपहर के भोजन के समय दोपहर में ओवन से एक बड़ा बेक किया हुआ निकला ????। मुझे एहसास हुआ कि यह टर्की था!!!! जिसे प्रोफेसर ने सुबह से ही ओवन में पकाया था। डॉ. डाल्टन परिंदे को ओवन में रखने के लिए सुबह 4 बजे उठे थे क्योंकि उन्होंने दोपहर एक बजे खाना खाने की योजना बनाई थी। उनकी पत्नी ने सारी सामग्री बनाई - क्रैनबेरी सॉस, रतालू आदि और मिठाई के लिए कद्दू पाई। यह कैनेडियन थैंक्सगिविंग था। 

डिसूजा कहती हैं कि मैं इस परंपरा से इतना प्रभावित हुई कि जब मैंने कनाडा छोड़ा, शादी की और अमेरिका चली आई, तो मैंने टर्की पकाना सीखा और परंपरा को बरकरार रखा। दोनों बेटों को भी बताया। वे इस परंपरा को कायम रखते हैं और उम्मीद है कि मेरे पोते-पोतियां भी ऐसा करेंगे। 

मौज-मस्ती, अच्छा भोजन और हास-परिहास की पहचान बन गया थैंक्सगिविंग। / Ritu Marwah

अधिकांश आप्रवासियों के लिए धन्यवाद ज्ञापन देश में उनके पहले अनुभव की पुनरावृत्ति बन जाता है। सचिन और नूपुर जैन छात्र के रूप में यहां पहुंचे। इस तरह का भोज उनकी परंपरा का हिस्सा नहीं था। शाकाहारियों के रूप में पक्षी या कोई गैर शाकाहारी प्रलोभन उन्हे नहीं खींच पाता। 

जय और प्रिया गुप्ता का परिवार शाकाहारी है। वे नौकरी की पेशकश के साथ सिलिकॉन वैली पहुंचे। पिछले थैंक्सगिविंग में, जब उनके पड़ोसियों ( एक अन्य भारतीय अमेरिकी परिवार) ने उन्हें शाम 4 बजे शाकाहारी थैंक्सगिविंग भोजन के लिए आमंत्रित किया तो गुप्ता को लगा कि यह हाई टी जैसा कुछ होगा। जैसे ही वे रात्रिभोज के लिए बैठे और परिवार ने यह कहने की अपनी परंपरा साझा की कि वे उस वर्ष के लिए किस बात के आभारी थे... गुप्ता परिवार को थैंक्सगिविंग से प्यार हो गया। मौज-मस्ती, अच्छा भोजन और हास-परिहास की पहचान बन गया था थैंक्सगिविंग। यानी धन्यवाद ज्ञापन। 

नया थैंक्सगिविंग है फ्रेंड्सगिविंग 
जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं और अलग-अलग शहरों में जाते हैं थैंक्सगिविंग के आयोजन फ्रेंड्सगिविंग की तरह हो जाते हैं। बे एरिया में रहने वाली स्वाति (उनकी बेटियां क्रिसमस के लिए उनके घर आने वाली हैं) ने कहा कि दिवाली के बाद थैंक्सगिविंग बहुत जल्दी आता है और उसके बाद क्रिसमस आता है इसलिए इसके लिए बच्चों का घर आना मुश्किल होता है। 

अनु भाटिया दोस्तों के साथ पोटलक थैंक्सगिविंग भोजन का आयोजन करती है, जिसे वह बिल्कुल सही बनाना चाहती है। हर साल वह मुख्य टर्की डिश के साथ साइड डिश का एक नया सेट चुनती हैं। वह अपने दोस्तों को धन्यवाद देने से दो सप्ताह पहले रेसिपी वितरित करती है और उनसे कहती हैं कि उन्हे वह व्यंजन पकाना चाहिए। रेसिपी यह सुनिश्चित करती है कि उसका स्वाद अच्छा हो।

धन्यवाद भोज की टेबल पर भारतीयता की झलक
जैसे-जैसे नवंबर करीब आता है किताब की दुकानें और एपिक्यूरियस.कॉम, बॉन एपेटिट और न्यूयॉर्क टाइम्स की कुकिंग.कॉम जैसी वेबसाइटें व्यंजनों के लिए शौकीनों द्वारा उत्सुकता से खोजी जाती हैं। रेस्तरां इंडियन एक्सेंट और इंडियन ग्रिल मुंबई में अरनसिनी सांभर बॉल्स परोस रहे हैं और वीना पटेल जैसी कुकबुक लेखिकाएं अमेरिकियों की टेबल पर कचौरी के स्वाद वाले तिल आलू बम पेश कर रही हैं।

यह पहचान बढ़ाने का एक माध्यम भी है। / Ritu Marwah

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