भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति ने अपनी अगस्त बैठक की रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया है कि अमेरिका के टैरिफ और वैश्विक तनाव भारत की विकास दर पर बड़ा दबाव डाल रहे हैं, लेकिन रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फिलहाल महंगाई काबू में है।
बैठक की अहम बातें
RBI ने इस महीने रेपो रेट 5.50% पर स्थिर रखा। अब तक 2025 में ब्याज दरों में 100 बेसिस पॉइंट की कटौती हो चुकी है। सभी छह सदस्यों ने "न्यूट्रल" रुख बनाए रखने पर सहमति जताई।
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विकास दर और खतरे
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि 2025 के लिए विकास दर 6.5% का अनुमान है, जो अच्छा है, लेकिन भारत इससे ज्यादा हासिल कर सकता है। उन्होंने चेतावनी दी कि अमेरिकी टैरिफ और भू-राजनीतिक तनाव भारत की वृद्धि के लिए बड़ा जोखिम हैं। अमेरिका ने 27 अगस्त से भारत के निर्यात पर 50% तक टैरिफ लगाने का फैसला किया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने पहले ही 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया था, वजह – भारत का रूस से तेल खरीदना।
महंगाई पर स्थिति
जून से खाद्य महंगाई में तेजी से गिरावट आई है, जिससे जुलाई में खुदरा महंगाई 8 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई, लेकिन डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता ने कहा कि यह गिरावट केवल खाने-पीने की चीज़ों की वजह से है, जबकि कोर इंफ्लेशन (तेल, मैन्युफैक्चरिंग आदि को छोड़कर) 4% से ऊपर रह सकती है। MPC सदस्य राम सिंह ने कहा कि 2025-26 के लिए CPI महंगाई का रुख बहुत शांत है, लेकिन अनिश्चितता बनी हुई है।
अन्य सदस्यों की राय
अन्य सदस्यों में नागेश कुमार ने कहा कि निजी निवेश और शहरी मांग को बढ़ावा देने की ज़रूरत है, लेकिन व्यापार नीतियों में अनिश्चितता को देखते हुए फिलहाल वेट एंड वॉच करना बेहतर है। सौगत भट्टाचार्य ने कहा कि मौद्रिक नीति को कई विरोधाभासी लक्ष्यों में संतुलन बनाना होगा, खासकर लोन और डिपॉज़िट रेट्स के बीच।
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