न्यूयॉर्क की एक संघीय अदालत ने भारतीय नागरिक निकिल गुप्ता का यह प्रयास अस्वीकार कर दिया कि उनकी कुछ बयानबाजी और सबूतों को रद्द किया जाए तथा उनके खिलाफ आरोपित मनी लॉन्ड्रिंग के मामले को हटाया जाए। अदालत का यह निर्णय अभियोजन पक्ष के लिए महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि मामला जल्द ही मुकदमेबाजी की दिशा में बढ़ रहा है।
न्यायाधीश विक्टर मारेरो ने 3 अक्टूबर को 51 पेज के आदेश में कहा कि चेक गणराज्य और अमेरिका के अधिकारियों के बीच कोई संयुक्त कार्रवाई नहीं थी और गुप्ता के चेक अधिकारियों को दिए गए बयान स्वेच्छा से किए गए थे। अदालत ने यह भी कहा कि गुप्ता के पास स्पेशियलिटी रूल के तहत काउंट थ्री को चुनौती देने का अधिकार नहीं है।
मामला क्या है
अभियोजन का कहना है कि यह मामला मई 2023 में भारत से शुरू हुआ, जब एक हैंडलर ने गुप्ता को न्यूयॉर्क में स्थित एक सिख राजनीतिक कार्यकर्ता और यूएस नागरिक की हत्या की साजिश में शामिल होने के लिए भर्ती किया। गुप्ता को एक गुप्त सूत्र ने अंडरकवर अधिकारी से मिलवाया, जो हिटमैन के रूप में कार्य कर रहा था। न्यूयॉर्क में $15,000 अग्रिम के रूप में दिए गए थे, जबकि कुल रकम $100,000 थी।
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गुप्ता को 30 जून 2023 को प्राग में गिरफ्तार किया गया और बाद में अमेरिका में प्रत्यर्पित किया गया। अक्टूबर 2024 में मनी लॉन्ड्रिंग साजिश का आरोप जोड़ दिया गया।
अदालत का आदेश और केस की स्थिति
न्यायालय ने सभी तीन आरोप—हायर-फॉर-मर्डर साजिश, हायर-फॉर-मर्डर, और मनी लॉन्ड्रिंग साजिश—को कायम रखा। अब मुकदमे का मुख्य मुद्दा यह होगा कि जूरी को कौन-कौन से सबूत और वीडियो दिखाए जाएंगे। अभियोजन पक्ष एक मर्डर वीडियो पेश करना चाहता है, जो कथित साजिशकर्ताओं के बीच जून 2023 में कनाडा में हुई हत्या के तुरंत बाद साझा किया गया था। अभियोजन का कहना है कि यह वीडियो साजिश के इरादे और घटना श्रृंखला को साबित करता है।
वहीं, रक्षा पक्ष का कहना है कि यह वीडियो जूरी को प्रभावित कर सकता है क्योंकि कनाडा की हत्या न्यूयॉर्क के मामले से सीधे संबंधित नहीं है। अदालत इस पर फैसला करेगी कि वीडियो को दिखाया जाए या नहीं।
विशेषज्ञ गवाह और अंतरराष्ट्रीय पहलू
अभियोजन ने प्रोफेसर निताशा कौल को विशेषज्ञ गवाह के रूप में पेश करने की योजना बनाई है, जो भारत के खुफिया संगठन रॉ (RAW) और कथित सिख अलगाववादी समूह की संरचना के बारे में बताएंगी। रक्षा पक्ष चाहता है कि यह गवाही अटकलबाजी और पक्षपातपूर्ण होने के कारण रद्द की जाए।
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