अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा 20 जनवरी को कार्यभार संभालने के बाद से व्यापारिक फैसलों में लगातार उठा-पटक देखने को मिली है। टैरिफ (आयात शुल्क) को लेकर ट्रम्प की आक्रामक और कभी-कभार पीछे हटने वाली नीति ने वैश्विक आर्थिक व्यवस्था को हिला कर रख दिया है।
मेक्सिको, कनाडा और चीन पर पहला वार
1 फरवरी को ट्रम्प ने मैक्सिको और कनाडा से आयातित सामान पर 25% और चीन से आने वाले सामान पर 10% टैरिफ थोप दिए। इसका उद्देश्य फेंटानिल और अवैध प्रवास को रोकना बताया गया।
तीन दिन बाद यू-टर्न
3 फरवरी को ट्रम्प ने मैक्सिको और कनाडा पर टैरिफ की धमकी को 30 दिनों के लिए रोक दिया, लेकिन चीन के साथ ऐसा कोई समझौता नहीं हो सका।
स्टील-अल्युमिनियम पर बड़ा फैसला
10 फरवरी को ट्रम्प ने स्टील और अल्युमिनियम पर बिना किसी छूट के 25% टैरिफ लागू कर दिए।
यह भी पढ़ें- भारतीय फार्मा पर ट्रम्प का प्राइस अटैक
फेंटानिल पर चीन से सख्ती
3 मार्च को उन्होंने चीन से आने वाले सभी फेंटानिल से जुड़े उत्पादों पर टैरिफ 20% कर दिए, जबकि मैक्सिको और कनाडा पर पहले घोषित टैरिफ 4 मार्च से लागू करने का ऐलान किया।
वाहनों पर छूट और फिर टैरिफ
5-6 मार्च को ट्रम्प ने वाहन उद्योग पर टैरिफ को एक महीने के लिए टाल दिया, पर 26 मार्च को फिर से कार और लाइट ट्रकों पर 25% टैरिफ लागू कर दिए।
10% का ग्लोबल टैरिफ और चीन पर 145% शुल्क
9 अप्रैल को वित्तीय बाजारों में उथल-पुथल के बाद ट्रम्प ने कुछ टैरिफ 90 दिन के लिए रोके, लेकिन 10% का ग्लोबल टैरिफ लागू रहा। चीन पर टैरिफ बढ़कर कुल 145% तक पहुंच गया।
इलेक्ट्रॉनिक्स, दवाएं और फिल्में निशाने पर
13 अप्रैल को स्मार्टफोन, कंप्यूटर जैसे उत्पादों को टैरिफ से छूट दी गई। वहीं 22 अप्रैल को दवा और सेमीकंडक्टर आयातों की जांच शुरू कर दी गई। 4 मई को ट्रम्प ने अमेरिका से बाहर बनी सभी फिल्मों पर 100% टैरिफ लागू कर दिया।
ब्रिटेन के साथ समझौता, चीन के साथ अस्थायी विराम
9 मई को ब्रिटेन के पीएम कीर स्टारमर के साथ ट्रम्प ने सीमित व्यापार समझौता किया, जबकि 12 मई को चीन के साथ 90 दिनों की टैरिफ शांति हुई, जिसमें दोनों पक्षों ने अतिरिक्त टैरिफ को घटाने पर सहमति दी।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login