दिल की बीमारियां, पूरी दुनिया में भारतीय मूल के लोगों के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बनती जा रही हैं। विश्व की लगभग एक-चौथाई आबादी होने के बावजूद भारतीय समुदाय को अब भी जेनेटिक रिसर्च और क्लीनिकल ट्रायल्स में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिल पा रहा है। इस ज्वलंत मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाने और समाधान तलाशने के लिए 21 मई को एक महत्वपूर्ण वर्चुअल पैनल डिस्कशन आयोजित किया जा रहा है, जिसका शीर्षक है – Cardiovascular Health and the South Asian Community।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHA) और अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी (ACC) जैसे प्रतिष्ठित संस्थान भी मानते हैं कि दक्षिण एशियाई वंशजों के लिए यह एक “रिस्क एनहांसिंग फैक्टर” है।
इस कार्यक्रम की शुरुआत संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व सर्जन जनरल डॉ. विवेक मूर्ति के प्रेरणादायक उद्घाटन संबोधन से होगी। डॉ. मूर्ति स्वास्थ्य और सार्वजनिक नीति के क्षेत्र में एक वैश्विक आवाज माने जाते हैं।
यह भी पढ़ें- मिनेसोटा में CoHNA चैप्टर की शुरुआत, एकजुटता का आह्वान
विशेषज्ञों की प्रतिष्ठित पैनल
इस पैनल में विश्वस्तरीय विशेषज्ञों का जमावड़ा होगा, जो खासतौर पर दक्षिण एशियाई समुदाय की दिल की सेहत से जुड़ी चुनौतियों पर चर्चा करेंगे। जिनमें आशीष माथुर, सह-संस्थापक और कार्यकारी निदेशक, El Camino Health एवं South Asian Heart Center, लता पलनियप्पन, प्रोफेसर, कार्डियोवस्कुलर मेडिसिन, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन, राजेश डैश, चेयरमैन और सह-संस्थापक, Clint Health, मार्था गुलाटी, डायरेक्टर, CVD प्रिवेंशन, Smidt Heart Institute at Cedars Sinai Medical Center और प्रदीप नटराजन, डायरेक्टर, Preventive Cardiology at Mass General Hospital और एसोसिएट प्रोफेसर, Harvard Medical School शामिल हैं।
क्यों यह चर्चा अहम?
दक्षिण एशियाई समुदाय में दिल की बीमारियों का खतरा सामान्य जनसंख्या से कहीं ज्यादा है। यह कार्यक्रम न केवल जागरूकता फैलाएगा, बल्कि भारतीय मूल के लोगों की अनदेखी की जा रही मेडिकल ज़रूरतों को भी वैश्विक मंच पर उजागर करेगा।
यह कार्यक्रम ऑनलाइन आयोजित होगा और सभी प्रतिभागियों के लिए निःशुल्क रहेगा।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login