श्रीलंका की प्रसिद्ध खोजी पत्रकार नामिनी विजेदासा ने पारदर्शी और निष्पक्ष निविदा प्रक्रिया की आवश्यकता पर बल दिया है, जिससे देश के कर्ज के बोझ को कम किया जा सके। उन्होंने कहा कि परियोजनाओं के निष्पादन में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए ताकि सभी देशों को उचित कीमत पर बोली लगाने का अवसर मिले और श्रीलंका के ऋण भुगतान पर इसका प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
विजेदासा ने एक साक्षात्कार में कहा, "मैंने हमेशा इस बात को उजागर किया है कि खरीद और परियोजना क्रियान्वयन में निष्पक्षता होनी चाहिए, ताकि प्रत्येक देश उचित कीमत पर बोली लगा सके और इससे हमारे ऋण भुगतान पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े, क्योंकि हमारा देश भारी कर्ज में डूबा हुआ है।"
उन्होंने कहा कि श्रीलंका में कई महंगे बुनियादी ढांचा और सड़क निर्माण परियोजनाएं शुरू की गईं, जिनमें से कुछ सफेद हाथी (अप्रभावी) साबित हुईं। "हमारे पास दक्षिण में हंबनटोटा के पास एक हवाई अड्डा है, जो बिल्कुल भी उपयोग में नहीं है। कुछ सड़कें भी हैं, जिन पर गाड़ियों की जगह भैंसें घूमती हैं।"
चीन और भ्रष्टाचार पर विजेदासा का रुख
चीन को श्रीलंका के ऋण संकट के लिए ज़िम्मेदार ठहराने के बजाय, विजेदासा ने देश की राजनीतिक और प्रशासनिक भ्रष्टाचार को इसका असली कारण बताया। उन्होंने स्पष्ट किया, "मैं बाहरी पक्षों को दोष नहीं देती। चीन ने श्रीलंका को काफी ऋण दिया है, लेकिन परियोजनाओं के लिए लिए गए निर्णय पूरी तरह स्थानीय नेताओं के थे।"
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उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से निपटने के लिए निष्पक्ष खरीद प्रक्रिया, खुली प्रतिस्पर्धात्मक बोली और उचित मूल्यांकन की आवश्यकता है, जो भाई-भतीजावाद और रिश्वतखोरी से मुक्त हो। "हमारे यहां कई कानून पारित किए गए हैं, लेकिन भ्रष्टाचार के उन्मूलन की प्रक्रिया केवल कागजों तक सीमित है," उन्होंने जोड़ा।
ट्रम्प प्रशासन से अपील
नामिनी विजेदासा ने ट्रम्प प्रशासन से अनुरोध किया कि वह छोटे देशों, विशेष रूप से संकट से उबर रहे श्रीलंका जैसे देशों को पारस्परिक शुल्क (रेसिप्रोकल टैरिफ) से छूट दे। उन्होंने कहा, "श्रीलंका जैसे छोटे देशों के लिए अमेरिका कुछ राहत देने पर विचार कर सकता है। हम वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बोझ नहीं बनना चाहते हैं।"
पत्रकारिता में 30 वर्षों का योगदान
30 वर्षों के करियर में विजेदासा ने श्रीलंका के गृह युद्ध के दौरान मानवीय संकट को उजागर किया और युद्ध से प्रभावित लोगों की आवाज़ को सामने रखा। बाद में उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ खोजी पत्रकारिता को अपना मिशन बना लिया। अमेरिकी विदेश विभाग ने उनके कार्यों की सराहना करते हुए कहा, "उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य केवल सत्ता में बैठे लोगों को जवाबदेह ठहराना नहीं, बल्कि पारदर्शिता और आर्थिक समृद्धि के लिए संवाद को बढ़ावा देना भी है।"
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