रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 9 अप्रैल को लगातार दूसरी बार अपनी अहम ब्याज दर (रेपो रेट) में कटौती की है। इतना ही नहीं, RBI ने अपनी मॉनिटरी पॉलिसी के रुख को भी 'तटस्थ' से बदलकर 'सहयोगी' कर दिया है। ऐसा इसलिए किया गया है जिससे सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल सके, जो अमेरिकी टैरिफ की वजह से और दबाव में है।
उम्मीद के मुताबिक, मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की, जिसके बाद यह 6.00 प्रतिशत हो गई है। MPC में RBI के तीन और बाहर के तीन सदस्य शामिल हैं। फरवरी में MPC ने ब्याज दरें घटाने की शुरुआत की थी। तब उसने एक चौथाई अंक की कटौती की थी। यह मई 2020 के बाद पहली कटौती थी।
MPC के सभी छह सदस्यों ने रेपो रेट में कटौती के लिए वोट किया।
अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए नए टैक्स से RBI के 2025-26 के लिए 6.7 प्रतिशत के GDP विकास अनुमान और सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण के 6.3-6.8 प्रतिशत के पूर्वानुमान पर खतरा मंडरा रहा है।
दूसरी ओर, महंगाई फरवरी में गिरकर 3.6 प्रतिशत पर आ गई, जो केंद्रीय बैंक के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से कम है। अनुमान है कि महंगाई इसी स्तर के आसपास रहेगी। इससे नीति निर्माताओं को और ज़्यादा गुंजाइश मिलेगी। वित्त वर्ष 26 के लिए महंगाई का अनुमान 4% रहने का है, जो कि फरवरी में लगाए गए 4.2% के अनुमान से कम है।
RBI MPC का महंगाई पर बयान: महंगाई के मोर्चे पर कीमतों में उम्मीद से अधिक तेज गिरावट ने हमें राहत दी है, लेकिन हम वैश्विक अनिश्चितता और मौसम में बदलाव से उत्पन्न संभावित जोखिमों के प्रति सतर्क हैं। MPC ने ध्यान दिया कि खाने की कीमतों में भारी गिरावट के चलते महंगाई अभी लक्ष्य से नीचे है।
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