22 अप्रैल को कश्मीर की शांत घाटी पहलगाम में मानवता को झकझोर देने वाला खूनी हमला हुआ। पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने सुनियोजित तरीके से हमला कर 26 निर्दोष हिंदू पर्यटकों की नृशंस हत्या कर दी। हमलावरों ने उन्हें केवल गैर-मुस्लिम होने के कारण निशाना बनाया। यह हमला 26/11 मुंबई हमलों और 6 अक्टूबर 2023 को हुए हमास के हमले की क्रूरता की याद दिलाता है। हमले ने अमेरिका में बसे भारतीय समुदाय को झकझोर दिया और पूरे देश में तीव्र विरोध प्रदर्शन हुए।
आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका में व्यापक प्रतिक्रिया
अमेरिका भर में बसे भारतीय-अमेरिकियों ने इस हत्याकांड के खिलाफ आवाज बुलंद की है। शिकागो, वॉशिंगटन डीसी और सैन जोस सहित कई शहरों में कैंडल मार्च और विरोध प्रदर्शन आयोजित हुए। FIIDS (फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज) ने अमेरिकी कांग्रेस में प्रस्ताव लाने के लिए सक्रिय भूमिका निभाई।
ट्रम्प से लेकर अन्य अमेरिकी नेताओं की प्रतिक्रिया
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा, "कट्टरपंथी जिहादी आतंकवाद का खात्मा ज़रूरी है। हम भारत के साथ खड़े हैं।" उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस, जो घटना के समय भारत दौरे पर थे, ने इसे “हृदयविदारक” बताया। विदेश मंत्री मारियो रुबियो और DNI तुलसी गबार्ड ने भारत को पूरा समर्थन देने की घोषणा की। FBI निदेशक काश पटेल ने भारत को "पूर्ण सहयोग" का आश्वासन दिया।
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पाकिस्तान की भूमिका और वैश्विक आतंकी गठजोड़
पहलगाम हमला कोई अकेला या आकस्मिक घटना नहीं है। इसके पीछे वही कट्टरपंथी विचारधारा है जिसने 9/11, 26/11 और हमास के हमलों को जन्म दिया। फरवरी 2025 में हमास नेता खालिद कद्दूमी ने पाकिस्तान में लश्कर द्वारा आयोजित एक “पाकिस्तान-कश्मीर एकता सम्मेलन” में भाग लिया—यह आतंकी संगठनों के अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ का खुला प्रमाण है।
पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालने की मांग
पाकिस्तान की दोहरी नीति फिर से उजागर हुई है—एक ओर आतंक के खिलाफ बयान, दूसरी ओर आतंकियों को संरक्षण। ओसामा बिन लादेन से लेकर अब्बोटाबाद तक की कहानी सबकुछ कहती है। हाल ही में पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष जनरल असीम मुनीर ने भारत के खिलाफ जिहाद को उकसाने वाला भाषण दिया था। FATF को पाकिस्तान की समीक्षा कर उसे दोबारा ग्रे लिस्ट में डालना चाहिए।
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