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'ज्यादा काम, कम तनख्वाह',  ब्रिटेन छोड़ भारत लौटे डॉक्टर की मार्मिक दास्तां

एक जूनियर भारतीय डॉक्टर के अनुभव ने यूके की हेल्थकेयर सिस्टम की कमजोरियों को उजागर किया है। उन्होंने बताया कि 'UK को अक्सर विदेशी डॉक्टरों के लिए अवसरों की भूमि के रूप में दिखाया जाता है, लेकिन सच्चाई बहुत जटिल और विपरीत है।

प्रतीकात्मक तस्वीर / Pexels

एक जूनियर भारतीय डॉक्टर ने भारत लौटने के अपने फैसले के बारे में खुलकर अपनी बात कही है। उन्होंने प्रोफेशनल एंड लिंग्विस्टिक असेसमेंट बोर्ड (PLAB) की परीक्षा पास की। इसके साथ ही ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) में काम कर चुके हैं। उनके अनुभव से ब्रिटेन की हेल्थकेयर सिस्टम की कठोर सच्चाई सामने आई है। उन्होंने इसे 'ज्यादा काम और कम तनख्वाह' वाला बताया है। 

उन्होंने Reddit पर लिखा, 'एक भारतीय डॉक्टर के तौर पर जिसने PLAB पास किया था और जो UK में अपनी जिंदगी बनाने की ख्वाहिश रखता था। मुझे बेहतर काम के मौके, आर्थिक स्थिरता और बेहतर जीवनशैली की उम्मीद थी। लेकिन UK में समय बिताने और वहां की हेल्थकेयर सिस्टम और आर्थिक हालात को देखने के बाद, मुझे एक कठोर सच्चाई का सामना करना पड़ा, जिसे कई लोग नजरअंदाज़ करते हैं।'

इस डॉक्टर की UK में महीने की सैलरी 2391 डॉलर (£2,300) थी। उन्होंने बताया कि कागजों पर तो ये काफी लगती है, लेकिन जिंदगी की ऊंची लागत की वजह से उन्हें गुजारा करने में मुश्किल हो रही थी। उन्होंने लंबे काम के घंटे, कम वेतन और ज्यादा काम के बोझ से जूझ रही हेल्थकेयर सिस्टम को अपनी नाखुशी की मुख्य वजहें बताया।

उन्होंने बताया कि 'UK को अक्सर विदेशी डॉक्टरों के लिए अवसरों की भूमि के रूप में दिखाया जाता है, लेकिन सच्चाई बहुत जटिल और विपरीत है। NHS में जूनियर डॉक्टर थका देने वाले घंटे काम करते हैं और उनकी सैलरी से बस-बस गुजारा ही चल पाता है। अपनी अहम भूमिका के बावजूद, उन्हें अक्सर कम आंका जाता है और सीमित संसाधनों के साथ भारी काम का बोझ संभालने के लिए छोड़ दिया जाता है।'

UK के आर्थिक हालात की तुलना भारत से करते हुए उन्होंने बताया कि घर लौटने से उन्हें जिंदगी की कम लागत, पेशेवर विकास और आर्थिक आजादी मिल रही है।

उन्होंने लिखा, 'भारत लौटना महज पैसों की बात नहीं थी, ये जीवनशैली की बात थी। भारत की हेल्थकेयर सिस्टम में अपनी चुनौतियां हैं, लेकिन मुझे यहां विकास, आर्थिक आजादी और काम-जिंदगी के बीच संतुलन के अधिक अवसर मिले हैं। दूसरी तरफ, UK आर्थिक मंदी, ज्यादा काम के बोझ से जूझ रही हेल्थकेयर सिस्टम और बढ़ती जीवन यापन की लागत से जूझ रहा है।'

दूसरों को सावधानी से अपने विकल्पों पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए, उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि, 'भारत लौटने से मुझे वह संतुलन मिला है जो मुझे UK में नहीं मिल पाया था। इसने मुझे पेशेवर और व्यक्तिगत दोनों स्तरों पर आगे बढ़ने का मौका दिया है। साथ ही एक ऐसा जीवन जीने का मौका दिया है जो ज्यादा संतोषजनक लगता है।' 

इस डॉक्टर के अनुभव ने UK में काम करने वाले विदेशी स्वास्थ्य पेशेवरों के सामने आने वाली चुनौतियों और NHS के भीतर व्यापक मुद्दों पर चल रही बहस को और बल दिया है।

 

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