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भारत की बेटी ने यूएन में लहराया शांति का परचम, मिलेगा ये प्रतिष्ठित पुरस्कार

मेजर राधिका सेन को मार्च 2023 में भारतीय रैपिड डिप्लॉयमेंट बटालियन के साथ एंगेजमेंट प्लाटून कमांडर के रूप में MONUSCO में तैनात किया गया था। उन्होंने अप्रैल 2024 में उनका कार्यकाल पूरा हुआ।

मेजर राधिका सेन आठ साल पहले भारतीय सेना में शामिल हुई थीं। / Image : UN secretary general office


भारत की महिला शांति सैनिक मेजर राधिका सेन को प्रतिष्ठित मिलिट्री जेंडर एडवोकेट पुरस्कार से सम्मानित करने का ऐलान किया गया है। उन्हें यह पुरस्कार 30 मई गुरुवार को अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस प्रदान करेंगे। 

मेजर राधिका सेन को मार्च 2023 में भारतीय रैपिड डिप्लॉयमेंट बटालियन के साथ एंगेजमेंट प्लाटून कमांडर के रूप में MONUSCO में तैनात किया गया था। उन्होंने अप्रैल 2024 में उनका कार्यकाल पूरा हुआ। इस दौरान वह डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में भारत की रैपिड डेप्लॉयमेंट बटालियन (INDRDB) के लिए युनाइटेड नेशंस ऑर्गनाइजेशन स्टेबिलाइजेशन मिशन (MONUSCO) एंगेजमेंट प्लाटून की कमांडर रहीं। 

मेजर सेन आठ साल पहले भारतीय सेना में शामिल हुई थीं। उस समय वह बायोटेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद आईआईटी बॉम्बे से मास्टर डिग्री की पढ़ाई कर रही थीं। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने मेजर राधिका सेन की सराहना करते हुए कहा कि वह एक सच्ची नेता और अन्य महिलाओं के लिए आदर्श हैं। उनकी सेवा संयुक्त राष्ट्र के लिए एक सच्चा श्रेय है।

मेजर सेन ने प्रतिक्रिया में कहा कि यह पुरस्कार मेरे लिए बहुत खास है क्योंकि यह डीआरसी के चुनौतीपूर्ण माहौल में काम करने वाले और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए सर्वश्रेष्ठ देने वाले सभी शांति सैनिकों की कड़ी मेहनत को मान्यता देता है।

मेजर सेन यह प्रतिष्ठित पुरस्कार पाने वाली दूसरी भारतीय शांतिरक्षक हैं। उनसे पहले मेजर सुमन गवानी को 2019 में इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। वह दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन (UNMISS) में तैनात थीं। भारत फिलहाल संयुक्त राष्ट्र में महिला सैन्य शांति सैनिकों का 11वां सबसे बड़ा योगदानकर्ता है, जिसमें उसकी 124 महिला सैनिक तैनात हैं।

संयुक्त राष्ट्र मिलिट्री जेंडर एडवोकेट पुरस्कार की शुरुआत 2016 में संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियान विभाग (डीपीओ) के अंतर्गत सैन्य मामलों के कार्यालय द्वारा की गई थी। यह महिलाओं, शांति एवं सुरक्षा मामलों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1325 के सिद्धांतों को बढ़ावा देने में एक सैन्य शांतिरक्षक के समर्पण और प्रयासों को मान्यता प्रदान करता है।

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