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रूस को विमान से जुड़े सामान बेचने की साजिश रचने का आरोप, भारतीय नागरिक गिरफ्तार

ओरेगन में 20 नवंबर को दायर किए गए आरोपपत्र में 57 साल के भारतीय नागरिक संजय कौशिक पर ओरेगन से रूस को नैविगेशन और फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम भेजने की कोशिश करने और इस लेन-देन के बारे में झूठे बयान देने का आरोप है। ये सामान पहले भारत होते हुए रूस भेजे जाने वाले थे। 

प्रतीकात्मक तस्वीर / Pexels

अमेरिका में 57 साल के भारतीय नागरिक संजय कौशिक पर नियमों के उल्लंघन के आरोप लगाए गए हैं। उन पर एक्सपोर्ट कंट्रोल रिफॉर्म एक्ट का उल्लंघन करते हुए रूस को अवैध तरीके से एविएशन (हवाई यात्रा से जुड़े) कंपोनेंट्स बेचने की साजिश रचने का इल्जाम लगाया गया है। ये कंपोनेंट्स नागरिक और सैन्य दोनों तरह के इस्तेमाल में आते हैं।

ओरेगन में 20 नवंबर को दायर किए गए आरोपपत्र में कौशिक पर ओरेगन से रूस को नैविगेशन और फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम भेजने की कोशिश करने और इस लेन-देन के बारे में झूठे बयान देने का आरोप है। ये सामान पहले भारत होते हुए रूस भेजे जाने वाले थे। 

कौशिक को 17 अक्टूबर को मियामी, फ्लोरिडा में गिरफ्तार किया गया। कोर्ट के दस्तावेजों के मुताबिक, 'कौशिक और उनके साथियों ने ये काम रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद मार्च 2023 से शुरू कर दिया था। ये साजिश अमेरिका से एरोस्पेस टेक्नोलॉजी झूठे बहाने से हासिल करने की थी। वो कहते थे कि ये सामान उनकी इंडियन कंपनी के लिए है, लेकिन असल में ये माल रूसी संस्थाओं को भेजा जाना था। ये एक बड़ी साजिश थी।'

कोर्ट के दस्तावेजों के मुताबिक कौशिक के ग्रुप ने ओरेगॉन की एक कंपनी से एटिट्यूड हेडिंग रेफरेंस सिस्टम (AHRS) खरीदा। ये एयरक्राफ्ट के नेविगेशन और फ्लाइट कंट्रोल के लिए बहुत जरूरी डिवाइस है। रूस जैसे देशों में इसे भेजने के लिए अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स से एक्सपोर्ट लाइसेंस चाहिए होता है। कौशिक और उसके साथियों ने झूठा दावा किया कि ये पार्ट्स कौशिक की इंडियन कंपनी के एक सिविलियन हेलिकॉप्टर में लगाया जाएगा। लेकिन, ये सिस्टम एक्सपोर्ट होने से पहले ही पकड़ा गया, इसलिए ये रूसी ग्राहक तक नहीं पहुंच पाया। 

अगर कौशिक दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें हर आरोप पर 20 साल की जेल और 1 मिलियन डॉलर तक का जुर्माना हो सकता है। इस मामले में जांच की अगुवाई पोर्टलैंड में ब्यूरो ऑफ इंडस्ट्री एंड सिक्युरिटी (BIS) कर रही है। केस की पैरवी असिस्टेंट यूएस अटॉर्नी ग्रेगरी आर. न्यहस और जस्टिस डिपार्टमेंट के नेशनल सिक्योरिटी डिवीजन के वकील कर रहे हैं।

ये केस जस्टिस डिपार्टमेंट के Task Force KleptoCapture के अंदर आता है। ये टास्क फोर्स रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद बनाया गया था। असिस्टेंट अटॉर्नी जनरल मैथ्यू जी. ओल्सन, असिस्टेंट सेक्रेटरी फॉर एक्सपोर्ट एन्फोर्समेंट मैथ्यू एस. एक्सलरॉड और यूएस अटॉर्नी नेटली के. वाइट समेत अधिकारियों ने अमेरिकी प्रतिबंधों और सुरक्षा प्रोटोकॉल को कमजोर करने वाले लोगों को जवाबदेह ठहराने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।

 

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