भारत-यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) ने देशों के बीच व्यापार एवं और निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापार एवं आर्थिक साझेदारी समझौते (TEPA) पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे भारत के लिए यूरोपीय बाजारों में नए अवसर पैदा होंगे। EFTA में स्विट्जरलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे और लिकटेंस्टीन शामिल हैं।
भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने EFTA के साथ TEPA पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दे दी है। भारत ने अगले 15 वर्षों में 100 अरब डॉलर की निवेश प्रतिबद्धता हासिल की है जिससे दस लाख नौकरियां पैदा होंगी।
EFTA एक अंतर-सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना 1960 में चार सदस्य देशों के के लाभ के लिए मुक्त व्यापार और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देना है। EFTA देशों में स्विट्जरलैंड भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। उसके बाद नॉर्वे का नंबर है।
भारत के वाणिज्य उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि TEPA एक आधुनिक और महत्वाकांक्षी व्यापार समझौता है। भारत पहली बार चार विकसित देशों के साथ एफटीए साइन कर रहा है। यह यूरोप में एक महत्वपूर्ण आर्थिक ब्लॉक साबित होगा। एफटीए के इतिहास में पहली बार अगले 15 वर्षों में 100 अरब डॉलर के निवेश और 10 लाख प्रत्यक्ष नौकरियों की प्रतिबद्धता दी गई है। यह प्रतिबद्धता बाध्यकारी होगी।
गोयल ने जोर देकर कहा कि यह समझौता मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा देगा और युवाओं व प्रतिभाशाली पेशेवरों के लिए नए अवसर पैदा करेगा। इतना ही नहीं, इससे भारतीय निर्यातकों को यूरोप और विश्व के बड़े बाजारों तक पहुंच बनाने का मौका मिलेगा।
Stronger Ties Inked!
— Piyush Goyal (मोदी का परिवार) (@PiyushGoyal) March 10, 2024
Delighted to sign the India-EFTA Trade & Economic Partnership Agreement, yet another pact of progress for our nation.
This watershed agreement, realised under the guidance & leadership of PM @NarendraModi ji, marks the dawn of a new era of prosperity and… pic.twitter.com/4h6FKoVAIO
पीएम मोदी ने समझौते की सराहना करते हुए कहा कि यह ऐतिहासिक समझौता आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देने और युवाओं के लिए नए अवसर पैदा करने की हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। आने वाला समय अधिक समृद्धि और विकास से भरा होगा क्योंकि हमने EFTA देशों के साथ संबंधों को मजबूती प्रदान की है। उन्होंने कहा कि भारत EFTA देशों को हरसंभव समर्थन देगा और लक्ष्य से अधिक हासिल करने के लिए उद्योगों एवं व्यवसायों की सहायता करेगा।
Delighted by the signing of the India-EFTA Trade & Economic Partnership Agreement. This landmark pact underlines our commitment to boosting economic progress and create opportunities for our youth. The times ahead will bring more prosperity and mutual growth as we strengthen our… https://t.co/z40wurQn9M pic.twitter.com/i9vQM9jYAi
— Narendra Modi (@narendramodi) March 10, 2024
इस अहम समझौते में 14 अध्याय शामिल हैं, जिसमें माल बाजार तक पहुंच, उत्पत्ति के नियम, व्यापार सुविधा, ट्रेड रेमेडीज, स्वच्छता एवं फाइटोसैनिटरी उपाय, व्यापार की तकनीकी बाधाएं दूर करना, निवेश बढ़ाना, सेवाओं तक पहुंच, बौद्धिक संपदा अधिकार, व्यापार व सतत विकास और अन्य कानूनी व क्षैतिज प्रावधानों पर जोर है।
भारत ने EFTA को 105 उप-क्षेत्रों की पेशकश की है और स्विट्जरलैंड से 128 उप-सेक्टरों, नॉर्वे से 114, लिकटेंस्टीन से 107 और आइसलैंड से 110 उप-क्षेत्रों में प्रतिबद्धताएं हासिल की हैं।
समझौते ने लक्ष्योन्मुख निवेश और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए इतिहास में पहली बार कानूनी प्रतिबद्धता को सामने रखा है। वाणिज्य मंत्रालय ने बताया कि EFTA अपनी टैरिफ लाइनों के 92.2 प्रतिशत की पेशकश की है जो भारत के निर्यात का 99.6 प्रतिशत कवर करता है।
EFTA की बाजार पहुंच पेशकश में 100 प्रतिशत गैर-कृषि उत्पाद और प्रोसेस्ड कृषि उत्पादों (पीएपी) पर शुल्क रियायत शामिल है। भारत अपनी टैरिफ लाइनों का 82.7 प्रतिशत प्रदान करता है, जिसमें 95.3 प्रतिशत ईएफटीए निर्यात शामिल है। इसमें 80 प्रतिशत से अधिक सोना आयात होता है। सोने पर प्रभावी शुल्क को नहीं छुआ गया है।
मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि यह समझौता सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवाओं, व्यापार सेवाओं, व्यक्तिगत, सांस्कृतिक, खेल एवं मनोरंजक सेवाओं और ऑडियो-विजुअल जैसी अन्य शिक्षा सेवाओं या रुचि के क्षेत्रों में भारत के सेवा निर्यात को प्रोत्साहित करेगा।
समझौते में नर्सिंग, चार्टर्ड एकाउंटेंट और आर्किटेक्ट जैसी पेशेवर सेवाओं में आपसी मान्यता समझौतों के प्रावधान हैं। इसके अलावा TEPA से भारतीय निर्मित वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ सेवा क्षेत्र को अधिक बाजारों तक पहुंच मिलने की उम्मीद है।
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