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विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा- G7 में ग्लोबल साउथ की आवाज है भारत

भारत को जी-7 सम्मेलन में आमंत्रित किया गया है और प्रधानमंत्री मोदी इसमें हिस्सा लेने वाले हैं।

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर। / Facebook

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत वैश्विक मंच पर ग्लोबल साउथ का प्रतिनिधित्व करने के लिए उत्सुक है और नई दिल्ली विभिन्न देशों के बीच एक 'सेतु' के रूप में काम करेगी। भारत के प्रधानमंत्री को इस सम्मेलन में आमंत्रित किया गया है। 

भारत जी-7 का सदस्य नहीं है लेकिन दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश और इसकी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक को 2019 से शिखर सम्मेलनों में आमंत्रित किया गया है। जी-7 में ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।  

भारत के विदेश मंत्री ने पेरिस में एएफपी को बताया कि हम कई वर्षों से जी-7 में एक आउटरीच देश रहे हैं और मुझे लगता है कि इससे जी-7 को लाभ होता है। उन्होंने कहा कि  वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) में अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की असमानताओं, इसे बदलने की इच्छा के बारे में बहुत मजबूत भावनाएं हैं और हम इसका बहुत बड़ा हिस्सा हैं। लिहाजा, हमारे लिए खुद को संगठित करना और अपनी उपस्थिति महसूस कराना महत्वपूर्ण है।

वैश्विक उथल-पुथल और विश्व मामलों के प्रति अमेरिका के नए क्रांतिकारी दृष्टिकोण के बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ यूक्रेन, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और दक्षिण कोरिया के नेताओं को सम्मेलन में आमंत्रित किया गया है।

सदस्य देशों से चीन और रूस के साथ मुश्किल संबंधों पर भी विचार-विमर्श करने की उम्मीद है। भारत ब्रिक्स का एक प्रमुख सदस्य है। ब्रिक्स रूस और चीन सहित प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है जिसके नेता अगले महीने की शुरुआत में मिलने वाले हैं। ब्रिक्स का आर्थिक प्रभाव बढ़ रहा है और इसे जी-7 के प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा जा रहा है।

जयशंकर ने कहा कि भारत के पास 'किसी भी रिश्ते को विशेष बनाए बिना विभिन्न देशों के साथ काम करने की क्षमता है।' उन्होंने कहा कि भारत एक सेतु का काम करता है। यह स्पष्ट रूप से एक मदद है जो हम ऐसे समय में अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के लिए करते हैं, जब आप ज्यादातर मुश्किल रिश्ते और अत्यधिक तनाव देखते हैं।

'अधिक तनाव' की आवश्यकता नहीं
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि उनका देश 2022 से संघर्ष को समाप्त करने के लिए रूस और यूक्रेन के बीच सीधी बातचीत के पक्ष में है। साथ ही जयशंकर ने कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सरकार के खिलाफ लगाए गए प्रतिबंध कारगर नहीं रहे।

गौरतलब है कि भारत रूस का राजनीतिक सहयोगी है और मॉस्को के साथ व्यापार करता है। उन्होंने कहा- जहां तक ​​प्रतिबंधों का सवाल है, आप तर्क दे सकते हैं कि वास्तव में इसका नीतिगत व्यवहार पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है।

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