सार्क के महासचिव, महामहिम मोहम्मद गुलाम सरवर ने बताया कि इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर, सार्क सदस्य देशों द्वारा समीक्षा और अनुमोदन के कठोर दौर के बाद हुआ है और यह क्षेत्र की कृषि और खाद्य प्रणालियों की गंभीर चुनौतियों पर मिलकर काम करने के लिए दोनों संस्थानों की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
मोहम्मद गुलाम सरवर ने आगे कहा, "हम अपने पिछले सहयोगों, SAC और IFPRI दोनों की क्षमताओं के साथ अपने प्रोजेक्ट्स पर आगे बढ़ेंगे। इस तरह की साझेदारियां महत्वपूर्ण हैं। क्योंकि इससे हमारे क्षेत्र के किसान और समुदाय लाभान्वित होते हैं।"
बता दें कि पिछले तीन दशकों में दक्षिण एशिया ने कृषि उत्पादकता और भुखमरी से लड़ने में उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन यह क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील है। दरअसल, यहां दुनिया के अन्य देशों के तुलना में सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चे हैं। कई परिवारों की स्थिति यह है कि वे स्वस्थ आहार का खर्च नहीं उठा सकते।
ऐसे में एक बयान में डॉ. स्विनन ने कहा, "इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर एक महत्वपूर्ण समय पर हो रहे हैं। , SAC और IFPRI के बीच साझेदारी का उद्देश्य पूरे क्षेत्र में महत्वपूर्ण नीतिगत और तकनीकी समाधानों का समर्थन, सुदृढ़ीकरण और विस्तार करना है।"
MoU से होंगे क्या लाभ?
यह समझौता ज्ञापन एसएसी और आईएफपीआरआई के बीच बहुआयामी सहयोग की रूपरेखा तैयार करता है ताकि लचीले और समावेशी बाज़ारों, टिकाऊ खाद्य उत्पादन, पोषण-संवेदनशील खाद्य प्रणालियों, खाद्य सुरक्षा और मानकों, बाजारों और व्यापार, और मजबूत संस्थानों और शासन को समर्थन दिया जा सके।
एसएसी और आईएफपीआरआई मिलकर विशेषज्ञता साझा करेंगे, संयुक्त अनुसंधान और नीति विश्लेषण करेंगे, और क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण और नीतिगत संवाद में शामिल होंगे। दोनों संस्थान परियोजनाओं, कार्यशालाओं और क्षेत्रीय कार्यक्रमों का आयोजन और उनमें भाग लेंगे, साथ ही अपने-अपने अधिदेशों के अंतर्गत संयुक्त कार्य योजनाएं भी तैयार करेंगे।
इस सहयोग से उत्पन्न प्रकाशन संयुक्त रूप से या अलग-अलग प्रकाशित किए जा सकते हैं और दोनों संगठन अपने शोध परिणामों और नवाचारों को अधिक व्यापक रूप से सुलभ बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके अतिरिक्त, समझौता ज्ञापन में जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और शमन, परामर्श, प्रशिक्षण, अनुभव भ्रमण और खाद्य एवं कृषि पर कार्यक्रमों जैसे क्षेत्रों में संयुक्त परियोजनाओं का भी आह्वान किया गया है।
इसके लिए SAC निदेशक और IFPRI के दक्षिण एशिया निदेशक की सह-अध्यक्षता में एक संयुक्त सलाहकार समिति का गठन किया जाएगा। यह समिति अनुसंधान विषयों की पहचान करने, प्रगति की समीक्षा करने और नीति विकल्पों पर सलाह देने के लिए प्रतिवर्ष बैठक करेगी। SAC और IFPRI संयुक्त रूप से परियोजना प्रस्तावों को विकसित करने और सहयोगी पहलों के लिए साझेदारी पर विचार करेगा।
जानकारी के मुताबिक, यह समझौता ज्ञापन तीन वर्षों के लिए वैध होगा और इसे सार्क सदस्य देशों की आपसी सहमति और सहमति से नवीनीकृत किया जा सकता है।
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