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7 साल बाद चीन जाएंगे पीएम मोदी, US से बढ़ते तनाव के बीच SCO समिट में लेंगे हिस्सा

मोदी की यह यात्रा जून 2018 के बाद पहली चीन यात्रा होगी। इसके बाद 2020 में गलवान घाटी में सैन्य संघर्ष के चलते भारत-चीन संबंधों में काफी तनाव आ गया था।

भारत और चीन प्रतीकात्मक तस्वीर /

अमेरिका से रिश्तों में बढ़ते तनाव के बीच भारत और चीन के रिश्तों में नरमी के संकेत मिल रहे हैं। इसी कड़ी में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात साल बाद चीन का दौरा करेंगे। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, मोदी 31 अगस्त से शुरू हो रहे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने चीन के तिआनजिन शहर जाएंगे। हालांकि, विदेश मंत्रालय की ओर से इस पर आधिकारिक बयान अभी नहीं आया है।

यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब भारत और अमेरिका के रिश्तों में खटास बढ़ रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत से आयातित सामानों पर एशिया में सबसे अधिक टैरिफ लगा दिया है। बुधवार को भारत पर 25 फीसदी एक्स्ट्रा टैरिफ की भी घोषणा की।

2020 के बाद पहली चीन यात्रा
मोदी की यह यात्रा जून 2018 के बाद पहली चीन यात्रा होगी। इसके बाद 2020 में गलवान घाटी में सैन्य संघर्ष के चलते भारत-चीन संबंधों में काफी तनाव आ गया था। हालांकि, पिछले साल रूस में हुए BRICS सम्मेलन में मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद रिश्तों में कुछ नरमी देखी गई। अब दोनों देश व्यापार और यात्रा को सामान्य करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

रूस के साथ बातचीत तेज
अमेरिका द्वारा भारत पर दबाव बनाए जाने के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल रूस के दौरे पर हैं, जहां वह रूस से तेल खरीद, S-400 डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के संभावित भारत दौरे को लेकर चर्चा कर सकते हैं। डोभाल के बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी रूस का दौरा करेंगे।

यह भी पढ़ें- रूसी तेल खरीदने पर फिर तिलमिलाए ट्रम्प, भारत पर लगाया 25% एक्स्ट्रा टैरिफ

अमेरिका से व्यापार झटका
अमेरिका और भारत के बीच व्यापार समझौते की बातचीत राजनीतिक गलतफहमियों और कटुता के कारण विफल हो गई है। भारत सरकार के एक अंदरूनी आकलन के अनुसार, ट्रम्प की टैरिफ कार्रवाई से भारत को 64 अरब डॉलर के एक्सपोर्ट में प्रतिस्पर्धात्मक नुकसान हो सकता है। हालांकि, भारत की $4 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था में निर्यात की हिस्सेदारी कम होने के चलते, आर्थिक विकास दर पर इसका सीधा असर सीमित रहने की उम्मीद है।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी बुधवार को GDP ग्रोथ का अनुमान 6.5% पर स्थिर रखा है और टैरिफ संकट के बावजूद ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया। भारत सरकार ने एक आकलन में माना है कि अगर अमेरिका ने रूसी तेल पर 10% अतिरिक्त दंडात्मक टैरिफ लगाया, तो कुल अमेरिकी शुल्क 35% तक जा सकता है। हालांकि, ये आंकड़े प्रारंभिक हैं और ट्रम्प की अंतिम घोषणा के बाद इनका पुनर्मूल्यांकन होगा।

 

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