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पादरी बनने के लिए नहीं लड़ रहा चुनाव, रामास्वामी ने किया हिंदू धर्म का बचाव

भारतीय मूल के रिपब्लिकन ने अपनी मान्यताओं को स्पष्ट करते हुए कहा कि वह वेदांत परंपरा से एक 'एकेश्वरवादी' हैं, पादरी नहीं।

विवेक रामास्वामी। / X image

ओहायो के गवर्नर पद के लिए चुनाव लड़ रहे रिपब्लिकन उम्मीदवार विवेक रामास्वामी ने 7 अक्टूबर को ओहायो में टर्निंग पॉइंट यूएसए के एक कार्यक्रम में खचाखच भरे दर्शकों से कहा कि उनकी हिंदू पहचान हिंदू धर्म की एकेश्वरवादी वेदांत परंपरा में निहित है और वह सार्वजनिक पद पर पादरी की भूमिका नहीं चाहते।

टर्निंग पॉइंट यूएसए स्वर्गीय चार्ली किर्क द्वारा स्थापित एक अमेरिकी गैर-लाभकारी संस्था है, जो हाई स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय परिसरों में रूढ़िवादी राजनीति को बढ़ावा देती है। टर्निंग पॉइंट ने इस कार्यक्रम की मेजबानी की जहां रामास्वामी से उनके धर्म और अमेरिकी राजनीति में उसके स्थान के बारे में प्रश्न पूछे गए।

एक श्रोता ने रामास्वामी से पूछा कि एक हिंदू होने के नाते वह ईसाई रूढ़िवादी आंदोलन में क्यों शामिल होंगे। प्रश्नकर्ता ने ईसाई धर्म का हवाला देते हुए कहा कि वह इस बात को लेकर उलझन में हैं कि एक बहुदेववादी विचारधारा एकेश्वरवादी दृष्टिकोण का समर्थन क्यों करेगी।

इस प्रश्न का उत्तर देते हुए रामास्वामी ने स्पष्ट किया कि उनका धर्म एकेश्वरवाद में निहित है। रामा ने कहाकि मैं वास्तव में एकेश्वरवादी हूं। मेरा मानना ​​है कि ईश्वर एक ही सच्चा है। यह अद्वैत दर्शन की वेदांत परंपरा से है।

उन्होंने कहा कि हर धर्म में एक और अनेक का मेल होता है। मेरे विश्वास में, मैं मानता हूं कि एक ही सच्चा ईश्वर है। वह हम सब में निवास करता है और विभिन्न रूपों में प्रकट होता है, लेकिन वह एक ही सच्चा ईश्वर है। इसलिए मैं एक नैतिक एकेश्वरवादी हूं।

इसके बाद रामास्वामी ने ईसाई धर्म से तुलना करते हुए प्रश्नकर्ता से पूछा कि क्या पवित्र त्रिदेव में विश्वास ईसाइयों को बहुदेववादी बनाता है। उन्होंने पूछा-  इससे आप बहुदेववादी तो नहीं हो जाते? "यह भी एक समान दर्शन है।

उन्होंने आगे कहा  कि मैं ओहायो का पादरी बनने के लिए चुनाव नहीं लड़ रहा। मैं ओहायो का गवर्नर बनने के लिए चुनाव लड़ रहा हूं और मैं अमेरिका का पादरी बनने के लिए नहीं लड़ा था। मैं संयुक्त राज्य अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के लिए चुनाव लड़ा था।

रामास्वामी ने प्रश्नकर्ता को मंच पर आमंत्रित किया और उन्हें अमेरिकी संविधान की एक व्यक्तिगत प्रति सौंपी। उन्होंने उनसे अनुच्छेद 6, खंड 3 को जोर से पढ़ने के लिए कहा, जिसमें इस पंक्ति पर जोर दिया गया- संयुक्त राज्य अमेरिका के तहत किसी भी कार्यालय या सार्वजनिक ट्रस्ट के लिए योग्यता के रूप में कभी भी किसी धार्मिक परीक्षा की आवश्यकता नहीं होगी।
 



शुक्ला ने की रामास्वामी की तारीफ 
हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की कार्यकारी निदेशक सुहाग शुक्ला ने x पर एक पोस्ट में रामास्वामी द्वारा इस स्थिति को संभालने की प्रशंसा की। उन्होंने लिखा-रामास्वामी ने इसे शानदार ढंग से संभाला। उन्होंने अपनी हिंदू आस्था परंपरा पर जोर दिया, हिंदू पहचान से पीछे हटे बिना अद्वैत वेदांत को परिभाषित किया और प्रश्नकर्ता को ईसाई धर्म में अवतारों की अवधारणा की जांच करने के लिए आमंत्रित किया।

राजनीतिक हिंसा पर
उसी कार्यक्रम के दौरान एक अलग बातचीत में रामास्वामी ने अमेरिकी राजनीति में बढ़ती शत्रुता के बारे में एक प्रश्न का उत्तर दिया। उन्होंने राजनीतिक हिंसा के किसी भी सामान्यीकरण की निंदा की। उन्होंने कहा कि राजनीतिक हिंसा का सामान्यीकरण अमेरिकी नहीं है। जागृति आंदोलन के पापों में से एक यह विचार है कि शब्द हिंसा हैं। यहीं से इसकी शुरुआत हुई।

उन्होंने समझाया कि वाणी को नुकसान के बराबर मानने से नैतिक सीमाएं धुंधली हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि अगर आप शब्दों को हिंसा में बदल देते हैं, तो कोई सोच सकता है कि प्रतिक्रिया में हिंसा उचित है। हमें, वामपंथियों और दक्षिणपंथियों को, इस बात पर एकमत होना होगा कि शब्द हिंसा नहीं हैं। हिंसा हिंसा है, और हिंसा शब्दों के प्रति कभी भी स्वीकार्य प्रतिक्रिया नहीं है।

रामस्वामी की टिप्पणियों ने हिंदू दर्शन के उनके मुखर बचाव और अमेरिकी राजनीति में संवैधानिक सिद्धांतों पर जोर देने के कारण ऑनलाइन ध्यान आकर्षित किया है।

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