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अमेरिका में बनेगा जनकपुरी की गौरवगाथा कहने वाला ‘जानकी मंदिर’

जानकी मंदिर में देवी सीता और भगवान राम के जीवन से जुड़े प्रसंगों पर सेमिनार, वर्कशॉप, नाट्य प्रस्तुतियां, और सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी।

भगवान राम और सीता (खबर के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर) / pexels

हरि बंश झा 

हिंदू धर्म के प्राचीन आख्यानों में देवी सीता मिथिला के राजा जनक की पुत्री जानकी मर्यादा, करुणा और अटूट निष्ठा की प्रतिमूर्ति मानी जाती हैं। उनके जीवन से न केवल आदर्श नारीत्व की झलक मिलती है, बल्कि धर्म, कर्तव्य और पारिवारिक मूल्यों का गहरा संदेश भी मिलता है। इन्हीं शाश्वत आदर्शों से प्रेरित होकर अब अमेरिका में ‘जानकी मंदिर’ की स्थापना का भव्य संकल्प लिया गया है। यह केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि अध्यात्म, संस्कृति और शिक्षा का जीवंत केंद्र बनने जा रहा है।

सीता-राम के आदर्शों से जुड़ेगा नया तीर्थ
जानकी मंदिर की परिकल्पना इस विचार पर आधारित है कि सीता और राम का जीवन सत्य, संयम, निष्ठा और सेवा के मार्ग का प्रतीक है। यह मंदिर न केवल पूजा-अर्चना का स्थल होगा, बल्कि यह लोगों को धर्म, नैतिकता और वैश्विक एकता के मूल्यों से जोड़ने का प्रयास करेगा। इसमें योग, ध्यान, वैदिक अध्ययन, और आयुर्वेदिक उपचार जैसी गतिविधियों का भी समावेश होगा।

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सांस्कृतिक और शैक्षिक केंद्र के रूप में नई पहचान
जानकी मंदिर में देवी सीता और भगवान राम के जीवन से जुड़े प्रसंगों पर सेमिनार, वर्कशॉप, नाट्य प्रस्तुतियां, और सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। मंदिर परिसर में 100 एकड़ क्षेत्र में सुंदर उद्यान, ध्यान कक्ष, विवाह मंडप और प्रवासी भारतीयों के लिए अल्पावधि आश्रम बनाए जाएंगे। साथ ही बच्चों के लिए ‘कल्चरल एकेडमी’ और एक भव्य पुस्तकालय भी स्थापित किया जाएगा।

प्रेरणादायी शासन और पारिवारिक मूल्यों की मिसाल
यह मंदिर सीता-राम के वैवाहिक संबंध को समानता, सम्मान और निष्ठा की मिसाल के रूप में प्रस्तुत करेगा। रामायण में वर्णित सीता के दृष्टिकोण- शासन, नेतृत्व और न्याय पर शोध और संवाद को बढ़ावा दिया जाएगा।

अमेरिका में मिथिला की छवि, विश्व में भारतीय संस्कृति का संदेश
अमेरिका जैसे बहुसांस्कृतिक देश में इस मंदिर की स्थापना भारतीय मूल्यों और सनातन धर्म की गूंज को नई ऊंचाई देगी। देशभर में करीब 1000 हिंदू मंदिर हैं, लेकिन किसी में भी विशेष रूप से देवी सीता को समर्पित मंदिर नहीं है। इसलिए यह ‘जानकी मंदिर’ न केवल आध्यात्मिक केंद्र बनेगा, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत और वैश्विक सद्भाव का प्रतीक भी होगा।

नैतिक जागृति और मानवीय एकता की ओर कदम
जानकी मंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित यह परियोजना पारदर्शिता और सेवा की भावना के साथ चलाई जाएगी। मंदिर का उद्देश्य समाज में नैतिक चेतना जगाना, पारिवारिक मूल्यों को सुदृढ़ करना और विश्वभर में शांति व सद्भाव का संदेश देना है।

अंततः, जानकी मंदिर केवल पूजन स्थल नहीं, बल्कि वह पवित्र धरोहर होगा जो सीता-राम के आदर्शों को आधुनिक जीवन में उतारेगा — यह बताएगा कि सच्ची सफलता धन-संपत्ति में नहीं, बल्कि विनम्रता, सेवा और प्रेम में निहित है।

लेखक के बारें
डॉ. हरि बंश झा 1989 से काठमांडू, नेपाल में सेंटर फॉर इकोनॉमिक एंड टेक्निकल स्टडीज (CETS) के कार्यकारी निदेशक हैं। वे ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF), नई दिल्ली में विजिटिंग फेलो भी हैं। इससे पहले वे 2018–19 में मधेश प्रांत की पॉलिसी कमिशन के उपाध्यक्ष रहे और त्रिभुवन विश्वविद्यालय, नेपाल में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर भी रह चुके हैं। डॉ. झा कई प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे इंडियन काउंसिल फॉर वर्ल्ड अफेयर्स, इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (नई दिल्ली), जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल एंड एरिया स्टडीज (हैम्बर्ग), और फेयरली डिक्सन यूनिवर्सिटी (न्यू जर्सी) से जुड़े रहे हैं। उनका शोध क्षेत्र नेपाल–भारत–चीन संबंध, मधेश के मुद्दे, सीमा प्रबंधन, व्यापार, प्रवास और विकास नीति है। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कई सेमिनार आयोजित किए हैं और दक्षिण एशिया में अर्थशास्त्र, शासन और क्षेत्रीय मामलों पर 33 पुस्तकों के लेखक या संपादक रह चुके हैं।

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