दो दशक पहले पहली बार विमान को छूने वाली उत्साहित छोटी लड़की अब भारत की तेजी से आधुनिक होती सेना और इसकी एकमात्र महिला राफेल लड़ाकू पायलट का चेहरा बनकर ऊंची उड़ान भर रही है।
29 वर्षीय शिवांगी सिंह ने नई दिल्ली में एयर फोर्स म्यूजियम में बताया कि यहीं से मेरा रोमांच शुरू हुआ था। अपनी पहली यात्रा को याद करते हुए शिवांगी ने कहा उस समय में 'अचंभित' थी और 'तुरंत समझ गईं कि मैं पायलट बनना चाहती हूं।'
महिलाओं को पहली बार 2015 में लड़ाकू पायलट रैंक में शामिल किया गया था। भारतीय वायु सेना (IAF) में शामिल होने की अनुमति मिलने के दो दशक बाद।
लेफ्टिनेंट शिवांगी ने कहा कि अब हमारे जैसे कई लोग हैं। यह न केवल हमारे समाज के आधुनिकीकरण को दर्शाता है बल्कि इस तथ्य को भी रेखांकित करता है कि अब हम अपने सपनों को साकार कर सकते हैं।
शिवांगी की शादी एक साथी लड़ाकू पायलट से हुई है। वह फ्रांस निर्मित सिंगल-सीट राफेल जेट उड़ाने वाली पहली भारतीय महिला हैं। पिछले महीने नई दिल्ली ने डसॉल्ट एविएशन से 26 विमानों के लिए कई अरब डॉलर का सौदा किया, जो पहले से ऑर्डर किए गए 36 विमानों में शामिल है। ये जेट विमान भारतीय वायुसेना के बड़े आधुनिकीकरण का हिस्सा हैं, जो रूस निर्मित मिग के पुराने बेड़े को बदलने के लिए हैं।
यह सौदा ऐसे समय में हुआ है जब नई दिल्ली ने कश्मीर में अप्रैल में हुए हमले के लिए पड़ोसी पाकिस्तान को दोषी ठहराया है। कश्मीर आतंकवादी हमल में 26 लोग मारे गए थे। पाकिस्तान ने हमले से किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया है।
कश्मीर की आतंकी घटना मुस्लिम बहुल क्षेत्र में नागरिकों पर एक चौथाई सदी में सबसे बुरा हमला है। भारत अपने उत्तरी पड़ोसी चीन को भी लेकर चिंतित है, खासकर 2020 में विवादित हिमालयी सीमा पर उनके सैनिकों के बीच हुई घातक झड़प के बाद।
कौशल,रोमांच और मां की प्रेरणा
पवित्र हिंदू शहर वाराणसी में जन्मी सिंह को एक ऐसी नौकरी पाने के लिए शिक्षा और खेल दोनों में ही अव्वल आना पड़ा जिसे कई लोग केवल पुरुषों के लिए ही मानते थे। पायलट ने कहा कि मेरी मां मेरे लिए प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत थीं क्योंकि वह न केवल मुझे शिक्षित करना चाहती थीं, वह चाहती थीं कि मैं स्वतंत्र रहूं और उन्होंने मेरे सभी प्रयासों का समर्थन किया।
वर्ष 2023 के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भारत की वायु सेना में 1,600 से अधिक महिला अधिकारी हैं, जिनमें कई पायलट भी शामिल हैं। दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश में महिला वाणिज्यिक पायलटों का अनुपात भी सबसे अधिक है। कुल संख्या का लगभग 14 प्रतिशत।
सिंह ने उड़ान के अपने अनुभव के बारे में विस्तार से बताया- जब वह पहली बार कॉकपिट में बैठीं तो 'घबराहट और बेचैनी' से लेकर अकेले उड़ान भरने के 'अविश्वसनीय रूप से रोमांचक' पल तक। पहली बार जब सिंह ने लड़ाकू विमान मिग-21 का नियंत्रण संभाला तब उन्हें एहसास हुआ कि उड़ान भरने के लिए 'नियंत्रण करने में कितने कौशल की आवश्यकता होती है।'
लेकिन शिवांगी के सपने बहुत बड़े हैं...
भारत एक मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन की योजना बना रहा है और शिवांगी को उम्मीद है कि यह चुनौती उसके लिए अगला कदम होगी। वे कहती हैं- मैंने एक ऐसे क्षेत्र में सफलता
प्राप्त की जो लंबे समय से पुरुषों के लिए आरक्षित था और अगर मैं सफल रही तो महिलाएं अब किसी भी क्षेत्र में काम कर सकती हैं।
शिवांगी ने बताया कि उसने परीक्षण पायलट बनने के लिए प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के लिए आवेदन किया था। मैं एक अंतरिक्ष यात्री बनना चाहती हूं... देखते हैं क्या होता है।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login