5 मई को आयोजित एक Congressional briefing में पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थक भूमिका को उजागर किया गया, जिसमें विशेष रूप से हिंदुओं के खिलाफ आतंकवादी हमलों, जैसे 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए नरसंहार, पर चर्चा की गई। इस बैठक का आयोजन HinduACTion, Global Kashmiri Pandit Diaspora और Kashmir Overseas Association USA ने मिलकर किया था।
"Pakistan’s Proxy War Against Hindus: Global Implications" शीर्षक से आयोजित इस briefing में अमेरिकी और भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और विभिन्न धर्मों के समुदाय नेताओं ने पाकिस्तान द्वारा आतंकवादी हमलों को प्रोत्साहित करने पर चिंता जताई। उन्होंने भारत के साथ अमेरिका और उसके सहयोगियों से मजबूत समर्थन की आवश्यकता पर जोर दिया।
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अमेरिकी सांसद की कड़ी आलोचना
मिशिगन के अमेरिकी प्रतिनिधि श्री थानेदार ने इस हमले के समय को रणनीतिक बताया, क्योंकि यह अमेरिकी उपराष्ट्रपति JD Vance के भारत दौरे से मेल खा रहा था। उन्होंने अमेरिकी प्रशासन की सीमित प्रतिक्रिया पर आलोचना की और कहा कि केवल शांति बहाली की बातों से काम नहीं चलेगा, बल्कि भारत को उसी तरह का रणनीतिक सम्मान दिया जाना चाहिए जैसा इजराइल को मिलता है।
पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल
अमेरिकी इतिहासकार और American Enterprise Institute के वरिष्ठ साथी माइकल रूबिन ने पाकिस्तान की आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली भूमिका की निंदा की। उन्होंने कहा, "इसमें कोई शक नहीं कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में सैकड़ों अमेरिकी सैनिकों की मौत का कारण बना।" उन्होंने अमेरिका-इंडिया संबंधों की तुलना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यक्तिगत संबंधों को भी रेखांकित किया।
अमेरिका में हिंदू समुदाय की आवाज़
भारतीय विचारक सुषांत सरीन ने अमेरिका और पश्चिमी देशों से पाकिस्तान के "न्यूक्लियर ब्लैकमेल" से न घबराने की अपील की और कहा कि पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों का उपयोग आतंकवाद को छुपाने के लिए करता है। वहीं, उत्तरी अमेरिका के हिंदू समुदाय के नेताओं ने मीडिया में हिंदू विरोधी नाराटिव्स और पहलगाम हमले की उपेक्षा की कड़ी आलोचना की।
पाकिस्तान पर कार्रवाई की तीन प्रमुख सिफारिशें
इस बैठक का समापन तीन प्रमुख सिफारिशों के साथ हुआ:
पाकिस्तान को आतंकवाद का राज्य प्रायोजक घोषित करने के लिए द्व chambers में एक द्विदलीय संकल्प पारित किया जाए।
पाकिस्तान को सभी बहुपक्षीय एजेंसी लोन और आर्थिक सहायता तुरंत रोकी जाए।
पाकिस्तान को सभी सैन्य और द्वि-उपयोगी प्रौद्योगिकियों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया जाए।
यह बैठक भारत और हिंदू समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश लेकर आई, जो पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को प्रोत्साहित करने की आलोचना कर रही है और अमेरिका से पाकिस्तान पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रही है।
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