लंबे समय से रिपब्लिकन रणनीतिकार और ट्रम्प परिवार के करीबी सहयोगी रहे सर्जियो गोर को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत का अगला राजदूत नामित किया है। सोवियत संघ में जन्मे और माल्टा में पले-बढ़े गोर का राजनीतिक सहायक से संभावित राजदूत तक का सफर इस बात को रेखांकित करता है कि ट्रम्प अहम कूटनीतिक पदों पर अपने वफादारों को ही भेज रहे हैं।
असाधारण रही है गोर की निजी जिंदगी
1986 में ताशकंद (सोवियत संघ के उज्बेक गणराज्य) में जन्मे गोर का मूल नाम सर्जियो गोरखोव्स्की था। उनके पिता यूरी गोरखोव्स्की सोवियत सेना के लिए विमान डिजाइन करने वाले इंजीनियर थे। उनके पिता ने IL-76 सुपरटैंकर जैसे विमानों पर काम किया और बाद में इजराइली खुफिया से जुड़े सलाहकार बने। उनकी मां इजराइली मूल की बताई जाती हैं।
1990 के दशक में गोर के परिवार ने उज्बेकिस्तान छोड़ दिया था। इसके बाद वे माल्टा गए और फिर अमेरिका बस गए। सर्जियो तब केवल 12 साल के थे। साल 2006 में उन्हें अमेरिकी नागरिकता मिली जिसे उन्होंने अपने महान अमेरिकन ड्रीम की पूर्ति बताया।
शिक्षा और शुरुआती राजनीति
कैलिफोर्निया के कैनोगा पार्क हाई स्कूल में गोर कई गतिविधियों से जुड़े रहे। गोरफ्यूचर फार्मर्स ऑफ अमेरिका अध्याय के अध्यक्ष रहे। एयर फोर्स जूनियर ROTC कैडेट बने और स्टेट सीनेटर रिचर्ड अलार्कॉन के साथ यंग सीनेटर प्रोग्राम में शामिल हुए। इसके बाद उन्होंने वॉशिंगटन डीसी स्थित जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की जहां उनके राजनीतिक सपनों को नई दिशा मिली। इसी दौरान उन्होंने राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के व्हाइट हाउस में इंटर्नशिप की।
ऐसे गोर धीरे-धीरे रिपब्लिकन राजनीति में एक स्थायी चेहरा बन गए। वे कैपिटल हिल पर संचार रणनीतिकार रहे और सीनेटर रैंड पॉल जैसे नेताओं के साथ काम किया। 2018 में वे रैंड पॉल के साथ कैटो इंस्टीट्यूट के तहत एक फैक्ट-फाइंडिंग मिशन पर मॉस्को भी गए। 2016 के बाद गोर का झुकाव पूरी तरह ट्रम्प कैंप की तरफ हो गया।
ट्रम्प प्रशासन में प्रभाव
ट्रम्प प्रशासन के दौरान गोर को MAGA वर्ल्ड के गेटकीपर कहा जाने लगा। वे व्हाइट हाउस के राष्ट्रपति कार्मिक निदेशक बने और हजारों नियुक्तियों पर उनका असर रहा। वॉशिंगटन पोस्ट ने एक बार उन्हें पॉवरफुल व्यक्ति कहा था।
इसके साथ-साथ गोर ने ट्रम्प परिवार के व्यक्तिगत रिश्ते भी मजबूत किए। उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप जूनियर के साथ Winning Team Publishing शुरू किया जिसने कई प्रो-ट्रम्प किताबें प्रकाशित कीं। गोर मार-ए-लागो में ट्रम्प परिवार के साथ अक्सर नजर आते हैं और उनके निजी सर्कल का हिस्सा रहे हैं।
भारत में नियुक्ति के संकेत
नई दिल्ली के लिए उनका नामांकन दर्शाता है कि ट्रम्प प्रशासन भारत जैसे अहम साझेदार के लिए किसी भरोसेमंद और वफादार को ही भेजना चाहता है। अमेरिका के लिए भारत इंडो-पैसिफिक रणनीति का केंद्र है। चीन को साधने से लेकर रक्षा, ऊर्जा और तकनीकी सहयोग का विस्तार में भी अमेरिका को भारत की जरूरत है।
अमेरिका में बहस
गोर की नियुक्ति पर अमेरिका में मिलीजुली प्रतिक्रिया सामने आई है। गोर के समर्थक कहते हैं कि उनकी प्रवासी पृष्ठभूमि, राजनीतिक अनुभव और ट्रम्प के प्रति वफादारी उन्हें भारत जैसे संवेदनशील पद के लिए अनोखा बनाती है। वहीं आलोचक सवाल उठाते हैं कि कूटनीतिक अनुभव न होना और ट्रम्प परिवार से नजदीकी होना भारत जैसे देश के साथ जटिल रिश्तों को संभालने में बाधा बन सकता है।
भारत-अमेरिका संबंधों की चुनौती
आपको बता दें कि अगर सीनेट से उनकी पुष्टि हो जाती है तो गोर उस समय पदभार संभालेंगे जब भारत-अमेरिका रिश्तों में तनाव हैं। इस वक्त दोनों देशों के बीच व्यापार और टैरिफ को लेकर विवाद है। भारत इस नियुक्ति पर बारीकी से नजर बनाकर रखेगा कि सर्जियो गोर दोनों देशों के बीच रिश्तों को किस तरह से आगे बढ़ाते हैं।
गोर का एजेंडा संभवतः चीन के खिलाफ वॉशिंगटन की नीति को संतुलित करने, भारत-रूस रिश्तों की जटिलताओं को संभालने, यूक्रेन-रूस संघर्ष के समाधान में भारत की भूमिका तय करने, अमेरिका-पाकिस्तान साझेदारी के नये सिरे से उभरते समीकरणों को प्रबंधित करने और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस व सेमीकंडक्टर्स सहित तकनीकी सहयोग को आगे बढ़ाने पर केंद्रित होगा।
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